माँ का आँचल
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** माँ जगत कल्याणकर्त्री,हे धरा,करुणामयी।प्रेममय आँचल तुम्हारा,तुम दया ममतामयी।हो जगत जननी चराचर,विश्व आँचल में लिये।सृष्टि के आरंभ में सह,ताप वायु व जल दियेll महापरिवर्तन धरा पर,ज्वालामय अंगार था।न थी सृष्टि न कोई प्राणी,न कोई आकार था।बस शून्य में विचरता,महाकाल विराट था।इसी धरती के ही आँचल,ने खिलाया फूल थाll महाकाश के बीच में,मार्तण्ड … Read more