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दया

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र
देवास (मध्यप्रदेश)
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अपनी बाईक स्टैण्ड पर खड़ी कर मैं बस की तरफ़ बढ़ रहा था,तभी एक भिखारी हाथ में भगवान की फ़ोटो लिए मुझसे पैसे मांगने लगा। मुझे उसके भीख मांगने पर बड़ा आश्चर्य हुआ,क्योंकि वह एक नौजवान व्यक्ति था। मुझे अपनी डायरी में लिखा एक सुविचार याद आया कि-‘दान के दो ही दुरुपयोग हैं-कुपात्र को दान देना और सुपात्र को दान नहीं देना।’
वह मुझे कहीं से कहीं तक दान देने योग्य नहीं लगा । मैंने उससे कहा कि,-‘यार तुम तो नौजवान आदमी हो तुमको इस तरह भीख नहीं मांगना चाहिए। बड़ी शर्म की बात है।
वह बोला,-‘बाबूजी आपकी बात सही है,लेकिन पिछले कई दिनों से हमारे ठेकेदार का काम बंद है, और कहीं काम मिल नहीं रहा है। अब पेट भरने लिए कुछ तो करना पड़ेगा।’
मैंने बोला,-‘तुम फैक्ट्री में काम करोगे ?’
वह बोला,-कहीं भी काम मिले,करने को तैयार हूँ।’
मैंने उसको ५० रुपए दिए और एक दोस्त की कम्पनी का विज़िटिंग कार्ड और कहा-‘आज खाना खा लो और कल ११ बजे इस पते पर आ जाना। उसने बड़ी भावपूर्ण मुद्रा में मुझे कृतज्ञता जताई।
मुझे मालूम था कि मेरे मित्र तिवारी जी की कम्पनी में मज़दूरों की आवश्यकता थी,दूसरा मुझे विश्वास था कि मेरे कहने से वे इसे काम पर रख लेंगे।
दूसरे दिन मैं पौने ग्यारह बजे तिवारी जी की कम्पनी पहुँच गया,और उन्हें सारा वाकया सुनाया। वे सहमत हो गए कि मैं उसे काम पर रख लूँगा ।
हम लोग चाय पीते हुए बात कर रहे थे कि-देखते हैं ५० का नोट बेकार जाता है या आपकी कम्पनी को एक नया आदमी मिलता है।
तभी सिक्युरिटी गार्ड ने बताया कि एक लड़का कम्पनी का कार्ड हाथ में लिए मालिक से मिलना चाहता है।
तिवारी जी ने कहा,-‘उसे अन्दर ले आओ।
आने पर मैंने उसे परिश्रम और ईमानदारी से काम करने की हिदायत दी और तिवारी जी को धन्यवाद कहकर लौट आया ।
मुझे इस बात का सुकून था कि मेरे छोटे से प्रयास से एक आदमी भिखारी बनने से बच गया।

परिचय-सुरेन्द्र सिंह राजपूत का साहित्यिक उपनाम ‘हमसफ़र’ है। २६ सितम्बर १९६४ को सीहोर (मध्यप्रदेश) में आपका जन्म हुआ है। वर्तमान में मक्सी रोड देवास (मध्यप्रदेश) स्थित आवास नगर में स्थाई रूप से बसे हुए हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का रखते हैं। मध्यप्रदेश के वासी श्री राजपूत की शिक्षा-बी.कॉम. एवं तकनीकी शिक्षा(आई.टी.आई.) है।कार्यक्षेत्र-शासकीय नौकरी (उज्जैन) है। सामाजिक गतिविधि में देवास में कुछ संस्थाओं में पद का निर्वहन कर रहे हैं। आप राष्ट्र चिन्तन एवं देशहित में काव्य लेखन सहित महाविद्यालय में विद्यार्थियों को सद्कार्यों के लिए प्रेरित-उत्साहित करते हैं। लेखन विधा-व्यंग्य,गीत,लेख,मुक्तक तथा लघुकथा है। १० साझा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है तो अनेक रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में भी जारी है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अनेक साहित्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। इसमें मुख्य-डॉ.कविता किरण सम्मान-२०१६, ‘आगमन’ सम्मान-२०१५,स्वतंत्र सम्मान-२०१७ और साहित्य सृजन सम्मान-२०१८( नेपाल)हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्य लेखन से प्राप्त अनेक सम्मान,आकाशवाणी इन्दौर पर रचना पाठ व न्यूज़ चैनल पर प्रसारित ‘कवि दरबार’ में प्रस्तुति है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और राष्ट्र की प्रगति यानि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त,सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं कवि गोपालदास ‘नीरज’ हैं। प्रेरणा पुंज-सर्वप्रथम माँ वीणा वादिनी की कृपा और डॉ.कविता किरण,शशिकान्त यादव सहित अनेक क़लमकार हैं। विशेषज्ञता-सरल,सहज राष्ट्र के लिए समर्पित और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिये जुनूनी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“माँ और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है,हमें अपनी मातृभाषा हिन्दी और मातृभूमि भारत के लिए तन-मन-धन से सपर्पित रहना चाहिए।”

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