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गांडीव तुम्हें उठाना होगा

सुनील चौरसिया ‘सावन’
काशी(उत्तरप्रदेश)

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हे अर्जुन!
अब गांडीव तुम्हें उठाना होगा,
दुश्मन को दम दिखाना होगा।

करोगे कब तक `मन की बात`,
सहोगे कब तक ये उत्पात
श्वान शेर पर वार करे,
शेर श्वान से डरे,मरे ?
इस अन्धेरी रात में
न्याय-सूर्य उगाना होगा।
अब गांडीव तुम्हें उठाना होगा,
दुश्मन को दम दिखाना होगाll

निशदिन तुम चाहते हो शान्ति,
अरि दल चाहे हर पल अशान्ति
बुद्धिहीनों की मरी इन्सानियत,
‘सावन’! हो जाए फिर महाभारत
सुनो! ईंट से ईंट बजाना होगाl
अब गांडीव तुम्हें उठाना होगा,
दुश्मन को दम दिखाना होगाll

चाहे जितनी कर लो बातचीत,
नापाक शत्रु न होंगे तुम्हारे मीत
हे अहिंसा के पुजारी,
कर लो युद्ध की तैयारी
उन्हें रण क्षेत्र में धूल चटाना होगाl
अब गांडीव तुम्हें उठाना होगा,
दुश्मन को दम दिखाना होगाll

हम हैं जीवन-पथ के राही,
ओजस्वी व तपस्वी सिपाही
देश की ख़ातिर जीए-मरेंगे,
विश्व का कल्याण करेंगे
एकता का रंग दिखाना होगाl
अब गांडीव तुम्हें उठाना होगा,
दुश्मन को दम दिखाना होगाll

परिचय : केन्द्रीय विद्यालय टेंगा वैली अरुणाचल प्रदेश में बतौर स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी एवं एसोसिएट एनसीसी अधिकारी पद पर सेवा प्रदान कर रहे सुनील चौरसिया ‘सावन’ की जन्मतिथि-५अगस्त १९९३ और जन्म स्थान-ग्राम अमवा बाजार(जिला-कुशी नगर, उप्र)है। कुशीनगर में हाईस्कूल तक की शिक्षा लेकर बी.ए.,एम.ए.(हिन्दी)सहित वाराणसी से बीएड भी किया है। इसके अलावा डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन,एनसीसी, स्काउट गाइड,एनएसएस आदि भी आपके नाम है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन,लेखन,गायन एवं मंचीय काव्यपाठ है,तो सामाजिक क्षेत्र में नर सेवा नारायण सेवा की दृष्टि से यथा सामर्थ्य समाजसेवा में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता,कहानी,लघुकथा,गीत, संस्मरण,डायरी और निबन्ध आदि है। अन्य उपलब्धियों में स्वर्ण-रजत पदक विजेता हैं तो राष्ट्रीय एवं विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बैनर तले मॉरीशस, इंग्लैंड,दुबई,ओमान और आस्ट्रेलिया आदि सोलह देशों के साहित्यकारों एवं सम्माननीय विदूषियों-विद्वानों के साथ काव्यपाठ एवं विचार विमर्श शामिल है। एक मासिक पत्रिका के उप-सम्पादक भी हैं। लेखन का उद्देश्य ज्ञान की गंगा बहाते हुए मुरझाए हुए जीवन को कुसुम-सा खिलाना,सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार कर सकारात्मक सोच को पल्लवित-पुष्पित करना,स्वान्त:सुखाय एवं लोक कल्याण करना है। श्री चौरसिया की रचनाएँ कई समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।

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