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`शुभ मंगल` ज्यादा सावधान

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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एक ऐसा विषय जो कटाक्ष है समाज पर,ये शुभ है तो मंगल नहीं,सिर्फ सावधान होना होगाl निर्देशक हितेश केवल्य की इस फिल्म `शुभ मंगल` में अदाकार आयुष्मान,जितेंद्र कुमार,सुनीता राजवर,नीना गुप्ता,गजराज राव,मनु ऋषि हैं तो संगीत तनिष्क बागची ने दिया हैl


#फ़िल्म से पहले चर्चा⤵
यह फ़िल्म पिछली फिल्म से ज्यादा अतिआधुनिक हो चली हैl पिछली फिल्म में कामोत्तेजना से सम्बंधित विषय था,शादी के उपरांत आने वाली शारारिक यौन समस्या था,तो इस बार फ़िल्म चार कदम आगे बढ़ चली हैl इस बार विषय `एलजीबीटीक्यू`-लेस्बियन,गे,उभयलिंगी,ट्रांसजेंडर में से लिया गया है,यानी मर्द-मर्द की शादी या प्यारl यह विषय बेहद आधुनिकता के साथ है,लेकिन पूरा विश्व जब ऐसे रिश्ते को स्वीकारोक्ति दे चुका है तो हम कब तक अपनी आस्था,धर्म, आडम्बर,समाज,परिवारवाद,रूढ़िवादिता का चश्मा लगा कर सच्चाई से मुँह फेरते रहेंगेl माना कि भारतीय सामाजिक संस्कार-सभ्यता इसे स्वीकार नहीं करेगी,पर हम इस सच से कब तक नज़र चुराएँगे ?? एक न एक दिन हमें सच के तर्कों पर उसे परखना ही होगा,और उसे समाज का हिस्सा मानना ही होगा,जैसे किन्नर समाज को हज़ारों साल लगे खुद को समाज में स्थापित करने मेंl वैसे ही `एलजीबीटीक्यू` भी सामाजिक है-धीमे-धीमे मान ही लिए जाएंगे ? यह विषय समलैंगिकता पूर्णतः हमारी सभ्यता-संस्कृति के खिलाफ है,परंतु विषय को नकारा भी नहीं जा सकता हैl
`एलजीबीटीक्यू` पर भारत में पहले भी फिल्म बन चुकी है,जैसे-`कपूर एंड संस, अलीगढ़,मार्गरिटा विथ स्ट्रॉ,बॉम्बे टॉकीज़ की पहली कहानी-फॉयर,आई एम हॉलीवुड-मूनलाइट,लव साइमन,प्राइड,गोडस ऑन एंट्री,द डे ही लुक्सl` कुछ फिल्में हैं जिस पर हॉलीवुड-बॉलीवुड काम कर चुके हैंl
#खास बात⤵
प्रेम,प्यार,मुहब्बत,आशिकी,लव,शादी की बात करें तो ज़हन में सीधे एक लड़का-एक लड़की आते हैंl यह हम सदियों से कल्पना करते आ रहे हैं,लेकिन यहां एक अपवाद है और यही अपवाद फ़िल्म का विषय हैl
#कहानी⤵
लड़ाई और मनुष्य संग-संग चलते आए हैं, लेकिन जब लड़ाई परिवार में हो तो असहाय हो ही जाते हैंl यहां समलैंगिक को कानून ने चाहे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया हो, लेकिन समाज-परिवार में आज भी इस रिश्ते को घृणा,तिरस्कार,अपमान की दृष्टि से देखा जाता हैl इसी घृणा और तिरस्कार के मध्य एक डर आ जाता है,इसी डर और अपने अन्तर्चेतना की जंग है फ़िल्म मेंl कहानी शुरू से विषय पर है,जिसमें कार्तिक(आयुष्मान) एक समलैंगिक है और वह अमन त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) से प्यार करता हैl अमन की चचेरी बहन की शादी में अमन के पिता शंकर त्रिपाठी(गजराज राव) इन दोनों लड़कों को चुम्बन करते हुए देख लेते हैंl दोनों लड़के खुद के प्यार को परवान देते,उसके पहले ही विरोध के स्वर मुखर हो जाते हैंl कार्तिक को मार-पीट कर समझाने की कोशिश होती है, इधर परिवार में माँ(नीना गुप्ता) अमन को इस बीमारी से इलाज संभव बताती हैl पंडित की मदद से कर्मकांड कराया जाता है कि अमन का नया जन्म होl पिता खुदख़ुशी का डर दिखा कर अमन को एक लड़की से शादी के लिए तैयार कर लेते हैंl अमन राजी हो जाता है,लेकिन कार्तिक उसे लगातार समझाता रहता है कि अपने प्यार को पाने के लिए आगे आना पड़ेगाl अंत में क्या दोनों समलैंगिक मिल पाते हैं,क्या परिवार,समाज इस रिश्ते को स्वीकार कर पाते हैं ? यह जानने के लिए फ़िल्म देखनी बनती हैl
#संगीत⤵
तनिष्क बागची ने फ़िल्म के लिए सहज संगीत दिया हैl गाना `गबरू,तुम काफी हो`,रीमिक्स `आजा प्यार कर ले` सुंदर बन गए हैंl
#अलग चर्चा⤵
`एलजीबीटीक्यू` पर पहले भी फिल्म बनी है,लेकिन उन फिल्मों के केन्द्र में यह `एलजीबीटीक्यू` रिश्ते होते थे,पर इस फ़िल्म में बेहद संजीदगी और हास्य के साथ परिवार को शामिल किया गया हैl फ़िल्म में चुटीले संवाद फ़िल्म की जान हैl
#पटकथा⤵
इस विषय पर पटकथा लिखना और उसके संवाद पिरोना बेहद मुश्किल काम था,जिसमें कई बार द्विअर्थी शब्द भी आए,लेकिन विषय की मांग को देखते हुए हज़म हो जाते हैं,फिर भी बेहद संजीदा विषय को हल्के-फुल्के हास्य अंदाज़ में आगे बढ़ाया गया जो काबिले तारीफ हैl
#अदाकारी⤵
आयुष्मान ऐसे अदाकार हैं,जो कुछ भी कर गुजरने का जुनून रखते हैं या खुद को साबित करने के लिए किसी भी हद से गुजर सकते हैंl नीना गुप्ता अपने किरदार के साथ बखूबी न्याय करती हैl गजराज राव भी कमाल कर गए हैंl वह लाइनर पंच पर कमाल से बेमिसाल हो जाते हैंl उनका एक अपना अंदाज़ है,जो उत्पल दत्त की याद ताजा करता है,क्योंकि उनकी अदाकारी में अजीब-सा ठहराव देखने को मिलता हैl जितेंद्र ने अपना सर्वस्व झोंक दिया है,पर लगता है ये असीम सम्भावनाओं वाला अभिनेता हैl मनु ऋषि का ज्यादा काम नहीं है,परन्तु जितना है-उतने में वह छाप छोड़ देते हैंl
#बजट-संग्रहण⤵
फ़िल्म का बजट लगभग ३२ करोड़ रुपया प्रसार,प्रचार,प्रदर्शन को मिला कर बताया गया हैl फ़िल्म ५० करोड़ आसानी से पार करती हुई १०० करोड़ी क्लब में पहुँच सकती हैl विषय के साथ हास्य का मिश्रण फ़िल्म को १०० करोड़ पार कर देने की क्षमता दिखाता है फ़िल्म मेंl
#अंत में⤵
फ़िल्म में आयुष्मान खुराना का होना आज सफलता की ग्यारंटी हो चला हैl आयुष्मान फ़िल्म के ज़रिए एक सामाजिक सन्देश भी लाते हैं,यहां भी वह सफल दिखेl फ़िल्म का विषय अंत तक संजीदा थाl फ़िल्म में हास्य के साथ विषय प्रस्तुत कर दिया गया,परन्तु विषय पर सवाल वहीं खड़ा हैl फ़िल्म के ट्रेलर से ही युवाओं में खासा उत्साह बन गया थाl फ़िल्म को विषय के चलते खाड़ी देशों तथा दुबई में प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैl यह फिल्म एक महीन सन्देश देती है आज़ादी से जीने काl इसे साढ़े ३ सितारे देना बेहतर रहेगाl

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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