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मैं प्यास की नदी

डॉ.हेमलता तिवारी
भोपाल(मध्य प्रदेश)
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अविजित मैं पर्वतों-सी,
चढ़ी नदी उफनती
बाँध जो गया मुझे,
वो तार था एक प्यार काl
सपन खिले-खिले लगे,
उमंग मचल-मचल उठी
तुम्हारी हर नयी लहर,
हरा-हरा-सा कर गईl
मैं प्यास की नदी सहल,
अधूरी काव्य पंक्तियाँ
उमंग से सिमट गई,
जो मीठी-सी
वो एक तेरी चाह थीl
ये रास्ते बहक गए,
विवाद ग्रस्त झोंकों से
तुम्हारी हसरतों ने दी,
सुलगती तप्त आग-सीl
बदन लरज-लरज उठा,
कपोल सिन्दूरी हुए
दबा के मुँह में उँगलियाँ,
टेढ़ी नजर से सूरत देख लीl
मैं ऊब डूब-सी गई,
नदी में तेरे प्यार की
उभर सकी न फिर कभी,
ये आँखें मय खुमार-सीl
मैं आग तेरी चाह की,
ये धूप की चुनर उढ़ा
खिली-खिली बहार-सी,
न फिर मिटी मेरी तड़प
तेरे प्यार की एक चाह कीll

परिचय-डॉ.हेमलता तिवारी का जन्म १४ नवम्बर १९६५ को सागर में हुआ हैl वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निवास है,जबकि स्थायी पता भोपाल(मध्य प्रदेश) हैl बी.एस-सी,(जीवविज्ञान)बी.ए.(संगीत), एम.ए (संगीत, इतिहास, दर्शन,लोक प्रशासन,एजूकेशनल सायकोलॉजी, क्लीनिकल साय.,आर्गेनाइजेशनल साय.)एल.एल.बी.,पी.जी.डी.(लेबर लॉ एंड इण्डस्ट्रियल रिलेशन)सहित पी.एच-डी.(इन क्लीनिकल साय.), एम.बी.ए.(वित्त और मानव संसाधन) की शिक्षा प्राप्त डॉ.तिवारी का कार्य क्षेत्र-नौकरी हैl सामाजिक गतिविधि के तहत आप व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षक,परामर्शी सहित ज्योतिष लेखन में सक्रिय हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी एवं आलेख हैl हिन्दी सहित अंग्रेजी का भाषा ज्ञान रखती हैं।

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