हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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(रचना शिल्प:रदीफ-तो ले,काफिया-मान,जान,तान, ठान,ज्ञान २१२२ १२१२ १२१२ ११२)
खुद को पहचान तो ले खुद को पहले जान तो ले।
तू जमीं को गगन को अपना पहले मान तो ले।
जिन्दगी भर का प्यार मिल सके जहाँ से तुझे,
बात ऐसी तू कोई इस जहाँ से जान तो ले।
तुझको सब मानते हैं प्यार भी तो करते सभी,
हक नहीं तो जरा तू सुर ले और तान तो ले।
देख तारों से कैसे आसमां पे चाँद घिरा,
तुझको भी घेर कर रखेंगे सब तू ठान तो ले।
उम्र कितनी है बची कौन जानता है यहाँ,
एक लम्हा न छूट पाए,तू वो ज्ञान तो ले॥
परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।