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कोरोना हारेगा हमारी एकता से

जसवंतलाल खटीक
राजसमन्द(राजस्थान)
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वाह रे, ‘कोरोना!’ तूने तो गजब कर डाला,
छोटी सोच और अहंकार को…
तूने चूर-चूर कर डाला।
वाह रे,कोरोना…

पैसों से खरीदने चले थे दुनिया,
ऐसे नामचीन पड़े हैं घरेलू अलगाव में…
तूने तो पैसों को भी,धूल-धूल कर डाला।
वाह रे,कोरोना…

धू-धू कर चलते दिन-रात साधन,
लोगों की चलती भागम-भाग वाली जिंदगी…
तूने एक झटके में सारा जहां,सुनसान कर डाला।
वाह रे,कोरोना…

दिहाड़ी करने वाले मजदूर,
खेत पर काम करते गरीब किसान…
तूने तो इनको बिल्कुल,कंगाल कर डाला।
वाह रे,कोरोना…

अमीरी मौज कर रही बंद कमरों में,
गरीबों को अपने घर आने की खातिर..
कोसों पैदल चलने को,मजबूर कर डाला।
वाह रे,कोरोना…

लोग कहते थे सौ-सौ रुपए लेती है पुलिस,
देखो! सूने चौराहों पर खड़ी हमारी सुरक्षा खातिर…
हम सब लोगों का,विचार बदल डाला।
वाह रे,कोरोना…

डॉक्टर को कहते थे तुम लुटेरे,
आज फिर इस वैश्विक महामारी में…
धरती का भगवान है डॉक्टर,ये साबित कर डाला।
वाह रे,कोरोना…

सफाईकर्मियों को नीचता से देखते हो,
देखो! आज कैसे सेनिटाईज कर रहे भारत को…
इन्हीं लोगों ने भारत का,हाल बदल डाला।
वाह रे,कोरोना…

शिक्षक तो होते ही हैं सबसे न्यारे,
आज दिन-रात लगे हैं हम सबको बचाने…
हमारे दिल में और सम्मान बढ़ा डाला।
वाह रे,कोरोना…

कोरोना से दिन-रात लड़ रही सरकार,
राजनीति को ताक में रख ‘तालाबंदी’ से…
इस कोरोना महामारी पर शिकंजा कस डाला।
वाह रे,कोरोना…

सिर्फ जनता हित के लिए ही तो खड़े हैं तत्पर,
पुलिस,डॉक्टर,सफाईकर्मी,शिक्षक और प्रशासन…
इन पांचों ने तो अपना सर्वस्व दे डाला।
वाह रे,कोरोना…

कोरोना हारेगा हमारी एकता से ‘जसवंत’,
फिर देखना दुनिया देखेगी,कैसे भारत देश ने…
कोरोना महामारी का सत्यानाश कर डाला।
वाह रे,कोरोना…॥

परिचय–जसवंतलाल बोलीवाल (खटीक) की शिक्षा बी.टेक.(सी.एस.)है। आपका व्यवसाय किराना दुकान है। निवास गाँव-रतना का गुड़ा(जिला-राजसमन्द, राजस्थान)में है। काव्य गोष्ठी मंच-राजसमन्द से जुड़े हुए श्री खटीक पेशे से सॉफ्टवेयर अभियंता होकर कुछ साल तक उदयपुर में निजी संस्थान में सूचना तकनीकी प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे हैं। कुछ समय पहले ही आपने शौक से लेखन शुरू किया,और अब तक ६५ से ज्यादा कविता लिख ली हैं। हिंदी और राजस्थानी भाषा में रचनाएँ लिखते हैं। समसामयिक और वर्तमान परिस्थियों पर लिखने का शौक है। समय-समय पर समाजसेवा के अंतर्गत विद्यालय में बच्चों की मदद करता रहते हैं। इनकी रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं।

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