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ब्रह्माण्ड का न्यासी सन्यासी

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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भोला शंकर औघड़दानी ब्रह्माण्ड का पालन कर्ता,
जीव जीवन आत्मा का परमात्मा
कराल विकराल महाकाल शिवा सत्य सत्यार्थ।

तन में भस्म लगाये पहने मृगछाला,
मुकुट भाल का चाँद जटाओं से बहती पतित पावनी
गंगा की निर्मल निर्झर अविरल धारा,
कर सोहे डमरू त्रिशूल गले में नाग की माला।

भांग धतूर ही भावे जगत कल्याण को,
विष पान कर नीलकंठ कहलाए
पर्वत पर रहते महल अटारी ना भावे,
पत्ता कन्द मूल भाव से जो मिल जाए
भाए भक्तन को छप्पन भोग पकवान खिलाएl

सती सत्य का सत्कार,
हिम हिमालय की बाला पार्वती अंकिकार
रूद्र रौद्र घोर घनघोर सत्य का साक्ष्य,
सत्य अनंत निराकार निर्विकार।

आग अंगार नीर छीर समीर अवनि,
आकाश तत्व तथ्य मूल सम्पूर्ण
ग्रह-नक्षत्र काल की चाल भूत-प्रेत पिशाच,
नंदी भैरों गण ऋतुएँ मौसम की काल चाल मुंकार।

ब्रह्माण्ड का न्यासी सन्यासी स्वयंभू शम्भू ओंकार,
दीन-दुखियों के दाता अनाथन के नाथ
शिव साक्षात् करालम महाकाल,
करालं कृपालं त्रिनेत्रधारी महापालक महापरलय प्रधान।

तांडव रौद्र रूप शंकर मोक्ष मार्ग,
श्मशान के देवता आदि मध्य अवसान
`देवों के देव` महादेव की महिमा अपरम्पार,
अशुभ अन्धकार मुंड माल तपसी मनीषी
सतोगुणी रजोगुणी का निश्चय निर्वाण।

सर्व व्यापी सर्वेश्वर वेद् पुराण,
शुभ मंगल गजानन षडानन के जन्मदाता
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
ज्ञान वैराग्य के ईश नामामिशम गिरीश
जय जय शिव शंकर बम बम भोले हर हर महादेव।

आई शिव रात्रि आई,
वसंत की बहार शिव पार्वती की बरात लाई
दूल्हा शिव दुल्हिन पार्वती का मिलन स्वर्ग में,
अप्सरा नाचे देव दुन्दभि बाजे हिमालय द्वारे बाजे शहनाई।

शिव रात्रि आई ब्रह्माण्ड में बधाई,
सखियां-सहेलियां करत अठखेलियां वर बौराहवा पावा
मैना हुई अचेत वर देख,
ब्रह्मा-विष्णु ने मैना को समझावा
त्रिपुरारी भूस्वामी वर वरण सौभाग्य,
त्याग-तपस्या से पार्वती ने पावा।

सृष्टि का निर्माता भाग्य विधाता का दर्शन,
पावन युग-युग जन्म-जन्म जप-तप सद्कर्म कर फल
सोई शिव शंकर चंद्रशेखर जामाता तुमरे द्वारे आवा,
सुन मैना नश्वर संसार में देव दानव का प्याराl
अर्धनारीश्वर दामाद तुम्हारा,
पार्वती जगत जननी जगत कल्याणी माताll

परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

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