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चाहिए है समझना बराबर

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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(रचनाशिल्प:वज़्न-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-फऊलुन×८)

बड़ी बात ये है कि फुटपाथ में जो उन्हें चाहिए है समझना बराबर।
तक़ाजा यही हो न उनसे हिक़ारत लगाएं भी दिल से ज़मीं से उठाकर।

जो मुमकिन नहीं वो करें हर्ज़ क्या है रिवायत पुरानी जो मर सी चुकी हैं,
हटा दें उन्हें यूँ नहीं फायदा कुछ जो लेती मज़े हैं किसी को गिराकर।

मरेंगे सभी जब यकीनन सही ये तो फिर मुल्क़ में क्यूं फसादात
करते,
अदब के सिपाही उठायें कदम औ कहें हम रहेंगे ये नफरत मिटाकर।

जो बाज़ीगरी है सियासत की चालें न फंसना कभी यार चौबंद रहना,
मुनाफा इसी में है उनका समझिए,अमन चैन वालों को खुद में लड़ा कर।

ये सरगर्मियां जो चुनावी रही हैं महज़ कुर्सियों तक है इनका सफ़र ये,
सियासत यही ज़ख़्म भी दे कर फुर्सत ये ‘ध्रुव’ हाथ सेंकें घरों को जला कर॥

परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।

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