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कोई गुनाह थोड़े ही किया

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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अरे मैंने यह कोई,गुनाह थोड़े ही किया है
घर के मंदिर का दीया देहरी पर रख दिया है,
आरती करता रहा हूँ मैं,रोज अपने ही घर में-
आज इन्सान के भले हेतु यह जतन किया है।

सूरज-चाँद बिना भी,कटा है सफर अंधेरों में
एक जुगनू ने ही तब रास्ता ये रौशन किया है,
मिटती है डर घबराहट हर दिल की इसी से तो-
देखकर कि,पड़ोसी के भी,जल रहा दीया है।

खुद को ही रौशन करने का,यह अंजाम हुआ
हलाहल शिव ने नहीं,उनकी प्रजा ने पीया है,
एक दीया ही काफी होता है,तिमिर हरने को-
अब तो जल रहा हर घर में यह एक दीया है।

वज्र-सी शक्तिशाली बुद्धि,ताकत थी जिनकी
आज इस वज्रपात से घायल उनका भी हिया हैl
प्रलय की मार से भी जीने का रास्ता मालूम हमें-
जीतता है वही जो दूसरे का हाथ थामे हुआ हैll

परिचय-संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी  विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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