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प्रेम की होली

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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रंग-बिरंगी प्रेम की होली,
मिल-जुल करो ठिठोली।

है रंगों का त्योहार निराला,
सबसे प्रेम करो मलबाला।

गले मिलो और नाचो-गाओ,
पापड़-गोजे सबको खिलाओ।

खूब उड़ाओ गुलाल-रोली,
रंग-बिरंगी प्रेम की होली।

पूड़ी और पकवान बनाकर,
आदर कर सबको खिलाकर।

खाओ खूब घर-घर में जाकर,
खुशियां बांटो होली मनाकर।

हरसाए लोगों की टोली,
रंग-बिरंगी प्रेम की होली॥

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