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शेखर की कुर्बानी

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस स्पर्धा विशेष………..


जिस धरती पर राणा जी ने घास की रोटी खायी है,
पर शत्रु के आगे कभी कायरता नहीं दिखायी है
यहाँ झाँसी वाली रानी एक वीरांगना नारी थी,
मिट गई रण में में पर हिम्मत नहीं हारी थी।

यहाँ मंगल,तात्या,वीर उधम,करतार हुए हैं,
बिस्मिल,रोशन,भगत सिंह सरदार हुए हैं
अल्फेट वाला पार्क कहती एक कहानी है,
शेखर के पिस्टल की पड़ी यहाँ निशानी है।

अंग्रेजों की नाक में दम जिसने कर डाला था,
डरा नहीं,झुका नहीं,वीर हिम्मत वाला था।
लिए पिस्तौल शत्रु पर,फायर करता जाता था,
आता जो भी आगे उनके,ढेर होता जाता था।

करके बैरी सीना छलनी,धरणी को जो लाल किया,
अंतिम गोली बची जब,निर्णय एक तत्काल लिया
जीते जी अंग्रेज के हाथों,हमको नहीं मरना है,
अपनी गोली अपने सीने में खुद से ही भरना है।

पकड़ न पाये थे जिनको फिरंगी काकोरी में,
डाला था डाका जिसने अंग्रेजों की तिजोरी में,
कोई जयचंद हमारा हमसे ही विश्वासघात किया,
पता बताकर शेखर का पीछे से आघात किया।

वरना उनकी ताकत का किसको क्या अंदाजा था,
भगत सिंह को बचाने का उनमें नेक इरादा था
अब अवसर नहीं था कि वो यहाँ कुछ और करे,
बची थी अंतिम गोली उससे कितना जोर भरे।

भारत माँ का लाल तब अपने को ही ढेर किया,
धरती काँपी-अम्बर काँपा,सूरज ने अंधेर किया
देवलोक से देवता,उनपे फूल बरसाए थे,
रोयी होगी भारत माता,विधना भी अश्रु बहाए थे।

भूल न सकता कोई उनकी इस कुर्बानी को,
उनपे नाज रहेगा हर दम हर हिन्दुस्तानी को।
हर बरस मूर्ति पर उनकी फूल चढ़ाए जाएंगे,
ले लेकर नाम उनका,गीत गाये जाएंगे॥

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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