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जोर का झटका

वीना सक्सेना
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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सुबह से ही आज घर में अजीब-सा माहौल थाl बहू साढ़े सात पर पहली चाय देती थी,आज सात बजे ही दे गई…मैं रोज साढ़े ६ बजे उठ जाता था और मुझे चाय की बड़ी तलब लगती थी…l मुझे अंदर से बड़ी घबराहट हो रही थी,क्योंकि कल ही मैंने अपने बेटे अजय को अपनी बहन सरिता से फोन पर बात करते सुना था…वह लोग आपस में किसी वृद्ध आश्रम के बारे में एक-दूसरे से पूछताछ कर रहे थे…l क्या औलाद है आजकल की…जिनके लिए जिंदगी खटा दी,वही बुढ़ापे में माँ-बाप को वृद्ध आश्रम का रास्ता दिखा देते हैं…माँ-बाप तो बस सब्र करने के लिए हैं…किसी को रोक-टोक न करें और मैं भी तो कभी-कभी बहू की बनाई हुई सब्जी में मीन-मेख निकाल देता हूँ…कभी पोते-पोती को मोबाइल पर खेल खेलने से रोकता टोकता हूँ…और मेरी बेटी भी कितनी नाशुक्री है…l यह नहीं कि,वही मुझे अपने साथ अपने घर ले जाती…उल्टे अपने भाई को वृद्ध आश्रम के पते ढूंढ-ढूंढ कर दे रही है…हो सकता है उसका पति नहीं चाहता हो,मुझे अपने साथ रखना…मन में अजीब-अजीब से ख्याल आ रहे थे…l
मुझे अपने दोस्तों की बातें याद आने लगी,कल शाम जब मैं अपने सेवानिवृत्त दोस्तों के साथ घूमने जा रहा था तो उन्होंने बताया कि,जिद्दी पीके पांडे को उसका बेटा वृद्ध आश्रम में छोड़कर अमेरिका चला गया…l इतने में अजय की आवाज आई..-पिताजी तैयार हो जाइए,बाहर चलेंगे…मेरे हाथ-पाँव फूल गए …शर्म के मारे पूछ भी नहीं पा रहा था…कि कहां चलना है…मेरे दोस्त क्या सोचेंगे…घर को हसरत भरी निगाह से देखते हुए बच्चों के सिर पर हाथ फेर कर चुपचाप गाड़ी में जा बैठा…गाड़ी चल पड़ीl थोड़ी देर में वाकई गाड़ी एक वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर थी…समझ तो गया था,यह सब मेरी सठयाई हुई हरकतों का फल है…चुपचाप आगे बढ़ गया कि,तभी मेरे दामाद भी गाड़ी से उतरे…उनके हाथ में ढेर सारे कंबल थेl ‘पिताजी भूल गए,आज माँ की पुण्यतिथि है…हमने सोचा आपके हाथ से क्यों ना वृद्धों को कंबल बांटे जाएं।’ बेटी ने हँसते हुए कहा…-तभी बहू और बेटा अजय बोला-‘पापा हम आपको उपहार देना चाहते थे…।’

`दो-तीन दिन से वृद्ध आश्रम का नाम सुन सुनकर मेरा दिमाग ऐसा चकरा गया था कि,हड़बड़ाहट में मुझे याद ही नहीं रहा कि आज ६ दिसम्बर है…मेरी पत्नी माया की पुण्यतिथि…l

परिचय : श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान इंदौर से मध्यप्रदेश तक में लेखिका और समाजसेविका की है।जन्मतिथि-२३ अक्टूबर एवं जन्म स्थान-सिकंदराराऊ (उत्तरप्रदेश)है। वर्तमान में इंदौर में ही रहती हैं। आप प्रदेश के अलावा अन्य प्रान्तों में भी २० से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं। आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट में चैम्पियन भी रही हैं। `कायस्थ गौरव` और `कायस्थ प्रतिभा` सम्मान से विशेष रूप से अंलकृत श्रीमती सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैंL आपका कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है तथा सामजिक गतिविधि के तहत महिला समाज की कई इकाइयों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैंL उत्कृष्ट मंच संचालक होने के साथ ही बीएसएनएल, महिला उत्पीड़न समिति की सदस्य भी हैंL आपकी लेखन विधा खास तौर से लघुकथा हैL आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना हैL

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