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हुआ कुछ यूँ…

मधु मिश्रा
नुआपाड़ा(ओडिशा)
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गांधी जयंती विशेष……………….

मैंने आज विद्यालय के एक बच्चे से पूछा-आज क्या है बेटा ?
तो उसने कहा-गाँधी जयंती...
मैंने पुनः पूछा-सिर्फ़ गाँधी जयंती..!
तो उसने कहा-हाँ...l
सचमुच,ये कोई हैरान कर देने वाला उत्तर नहीं हैl आप जिससे भी पूछिए,आपको भी… यही उत्तर हर तीसरा व्यक्ति दे देगा…l
आख़िर क्यूँ हमारे पूर्व प्रधान मंत्री लालबहादुर शास्त्री का पुण्य स्मरण नहीं किया जाताl अधिकांश लोगों को ये मालूम ही नहीं है कि,२ अक्टूबर के दिन हमारे देश की २ महान विभूतियों का अवतरण हुआ थाl आख़िर ये किसकी भूल है ? सरकार की, शिक्षक की,या फ़िर आम जनता की ? जो छोटी-से-छोटी बातों को सामाजिक संचार माध्यम में प्रसारित करना तो जानते हैं,पर एक दिन का पुण्य स्मरण विस्मृत कर जाते हैं..!
ये विडंबना ही है,जो लोग छोटे-से-छोटे कार्य का बढ़-चढ़ कर प्रचार- प्रसार करने को नहीं चूकते,वो इन्हें याद ही नहीं करना चाहतेl जिस तरह आज कल रिवाज़-सा बनता जा रहा है,मदर्स-डे,फादर्स-डे,ये डे…और वो डे…l ऐसी स्थिति में हमारा कर्तव्य बनता है कि,हम सब सिर्फ़ गाँधी जयंती नहीं गाँधी-शास्त्री जयंती के नाम से इस दिवस का नाम परिवर्तित करें…और ये संदेश जन-जन तक प्रसारित करें,नहीं तो हो सकता है कि कल को कोई बच्चा ये भी पूछ बैठे…कि,ये शास्त्री जी कौन हैं…? क्या ये भी २ अक्टूबर को ही पैदा हुए थे…?
कहीं ऐसा तो नहीं कि,नोट पर छपे हैं महात्मा ,इसलिए उन्हें भुलाया नहीं जा सकता,तो फ़िर सरकार ही कुछ ऐसा करे,जिसकी वज़ह से देश के स्वर्णिम इतिहास में शास्त्री जी के भी अवदान को भूल पाना असंभव हो…l ये तो भारत माँ के लिए गौरव का विषय है कि,आज ही के दिन २ लालों के जन्म से उनका आँचल सुवासित हुआ था-
जय जवान जय किसान का नारा दिया था लाल,
दे दी हमें आज़ादी बिना खडग-बिना ढाल
साबरमती के संत ने कर दिया कमालll’

परिचय-श्रीमती मधु मिश्रा का बसेरा ओडिशा के जिला नुआपाड़ा स्थित कोमना में स्थाई रुप से है। जन्म १२ मई १९६६ को रायपुर(छत्तीसगढ़) में हुआ है। हिंदी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती मिश्रा ने एम.ए. (समाज शास्त्र-प्रावीण्य सूची में प्रथम)एवं एम.फ़िल.(समाज शास्त्र)की शिक्षा पाई है। कार्य क्षेत्र में गृहिणी हैं। इनकी लेखन विधा-कहानी, कविता,हाइकु व आलेख है। अमेरिका सहित भारत के कई दैनिक समाचार पत्रों में कहानी,लघुकथा व लेखों का २००१ से सतत् प्रकाशन जारी है। लघुकथा संग्रह में भी आपकी लघु कथा शामिल है, तो वेब जाल पर भी प्रकाशित हैं। अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में विमल स्मृति सम्मान(तृतीय स्थान)प्राप्त श्रीमती मधु मिश्रा की रचनाएँ साझा काव्य संकलन-अभ्युदय,भाव स्पंदन एवं साझा उपन्यास-बरनाली और लघुकथा संग्रह-लघुकथा संगम में आई हैं। इनकी उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,भाव भूषण,वीणापाणि सम्मान तथा मार्तंड सम्मान मिलना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावों को आकार देना है।पसन्दीदा लेखक-कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद,महादेवी वर्मा हैं तो प्रेरणापुंज-सदैव परिवार का प्रोत्साहन रहा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी मेरी मातृभाषा है,और मुझे लगता है कि मैं हिन्दी में सहजता से अपने भाव व्यक्त कर सकती हूँ,जबकि भारत को हिन्दुस्तान भी कहा जाता है,तो आवश्यकता है कि अधिकांश लोग हिन्दी में अपने भाव व्यक्त करें। अपने देश पर हमें गर्व होना चाहिए।”

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