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सूर्य स्तुति

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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भोर भयी,है उजियारा,नभ तिमिर का अंत हुआ,
सूर्य रश्मि का संदेश गूंजा है,तमसो मा ज्योतिर्मय
सृष्टि का,गगन में लिखा हुआ,दृश्य यह स्वर्ण-सा,
नमस्तस्यै,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै सूर्याय: नम:।

प्रातः बेला की सहज सुखद है ईश्वरीय अनुभूति,
आलस्य त्याग,उर्जा स्फूर्ति का हुआ उदय समय
व्योम से उतर रहे हैं,स्वर्ण किरणों को बिखेरते,
नमस्तस्यै,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै भास्कराय नमः।

खेत-खलिहान,जंगल-वन,शहर-भवन,
चूल्हे-चौके शोर मचाते हर्षित,देख तेजोमय
सर्व जग का पोषण तोषण,यह दिनकर वलय,
नमस्तस्यै,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै आदित्यायः नमः।

नैसर्गिक सौंदर्य होगा,सप्त अश्व रथ आरूढ़,
तीनों लोक आलोकित करेंगे,कर्म करने को हमें।
शीश झुकाए कर बद्ध नमन,हे देव! बारम्बार,
नमस्तस्यै,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै रवये नमः॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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