तुलसीदास और ‘राम राज्य’

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष हमारी महान भारतीय संस्कृति का आधार दयालुता,समभाव,संतुलन, सहृदयता तथा समन्वय की भावना है। हम भारतीयों के आदर्श प्रभु श्री राम,भगवान श्री कृष्ण आदि हैं। इनके जीवन चरित्र की विभिन्न झांकियों में जहाँ हम जैसे साधारण मनुष्य जटिल से जटिल समस्याओं के हल ढूंढ लिया … Read more

अनसुलझी-सी बातें

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** कुछ अनसुलझी-सी बातें मन की,कुछ बिन गाये गीत हमारेसमय के पंखों पर बैठे,कुछ बोझिल अरमान हमारेl इनको पूरा करने की ख़ातिर,कुछ धुंधले से शौक़ हमारेस्वच्छ धरा को धूमिल करते,मन के मनमौजी मेघ निरालेl बहुत हुआ ये सावन-भादो,बहुत किया ये ताप सहनसंग तुम्हारा हुआ बसंत अब,न तुम व्याकुल,न मैं बेचैनl पतझड़ के आने … Read more

तेरे नाम…

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** कुछ गुस्ताखियाँ ऐसी हो रहीं हैं,मेरी तस्वीर तेरी आँखों में खो रही है।अब देख लो है तुम्हारी जो मर्ज़ी,मेरी साँसों की डोर तेरी एक नींद की अर्ज़ी।जब थक जाओ मेरी फरमाइशों से तुम,तो कर लेना पलकें बन्द हो जाएंगें हम भी ग़ुम।सिवा तुम्हारे याद आते भी हैं किसको हम ?ये देख लेना … Read more

प्रताप का शौर्य ‘एक रहस्य’

अंशु प्रजापति पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड) **************************************************************** ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. विद्यार्थी जीवन से ही मेरे लिए कुछ विषय बड़े ख़ास थे। गणित और भाषा मेरे प्रिय विषय रहे,परन्तु जब-जब गणित के कठिन दांव-पेंचों में फँस कर थक जाती थी अथवा संस्कृत के दुरूह श्लोक कंठस्थ करने में हार जाती थी,तो स्वयं को फ़िर से … Read more

मेरा राम फ़िर वनवासी हुआ जाता है

अंशु प्रजापति पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड) **************************************************************** मन मन्दिर रिक्त हुआ जाता है, मेरा राम फिर वनवासी हुआ जाता है कोई कालिमा कैकेयी सी है घर कर गयी क्या ? ये इतिहास पुनः दोहराया जाता है। मेरा राम फिर… हे राम! क्षमा करना मुझे, मन भवन छोड़ना पड़ा तुझे कोई भाव भी सिय लखन-सा, साथ दिया न … Read more

पड़ोसी

अंशु प्रजापति पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड) **************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. ‘सामाजिक संबंध’ जैसे ही ये शब्द पढ़े तो सबसे पहले जो मस्तिष्क में विचार आया वो था ‘पड़ोस’, और सामाजिक सम्बंधों में ‘दूरी’ शब्द का पर्यायवाची है पड़ोसी। आप सोच रहे होंगे ये भला क्या तर्क है ? पड़ोसी शब्द दूरी का द्योतक कैसे हुआ … Read more

आत्म संवाद

अंशु प्रजापति पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड) **************************************************************** अपने हृदय संसार में जब मैं उतरती हूँ, प्रतिपल की अनुभूति सहेज कर चलती हूँ। अन्तर्मन के शब्द मौन, मौन ही वाद-विवाद उस क्षण में न कोई दुःख, न कोई अवसाद। मेरे प्रश्न मेरे ही उत्तर, न समय का पहरा उतनी शांत होती जाती हूँ , जितना उतरूं गहरा। आत्म … Read more

अबोध मानव

अंशु प्रजापति पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड) **************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्रकृति के देखे रूप बहुत,उत्तर से लेकर दक्षिण तक, हरियाली से लेकर रेत तलक,गिरिराज से लेकर सागर तक। तरुवर से लेकर तृण तक,अम्बर से लेकर पृथ्वी तक, अनुभूति केवल सौंदर्य की,सुंदर छवि मोहक सृष्टि की। किंतु प्रातः आज कुछ ऐसी हुई,वो छवि मोहक खो सी … Read more

शुभ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

हिन्दीभाषा.कॉम मंच के रचनाकार साथी अंशु प्रजापति जी का २५ मार्च  को शुभ जन्मदिन है..इस पटल के माध्यम से आप उनको शुभकामनाएं दे सकते हैं…..

वापसी (स्वयं की)

अंशु प्रजापति पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड) **************************************************************** मन खोने लगा है एक अनकही में, शब्द पिरोने लगा है एक अनकही में। कुछ धुँधली-सी हुई जो तस्वीर मेरे अस्तित्व की, परतें उस पर से हटाने लगी हूँ मैं धूल की। रंगों से कुछ दूरी भी हो गयी थी मेरी, वही आँखें तितलियों को निहारतीं हैं मेरी। झूम-सी जाती … Read more