खो गई मानवता
गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ********************************************************************** कल-कल करता कलियुग,मानव शरीर अब मशीन हो गए, खो गई मानवता,चलते-फिरते रोबोट हो गए। नेता हो या अभिनेता,कुर्सी सबको प्यारी है, पद पाने की होड़ में,भावशून्य हो गए। खो गई मानवता,चलते-फिरते रोबोट हो गए….॥ जला दीं बस्तियां,हर तरफ लाचारी और बेगारी है, घर उनके भवन,होटल के क्षेत्र हो … Read more