क्यों यह दहशतगर्जी का खेल…?

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष…… शायद मैं थोड़ा उद्विग्न हूँ…,कह सकते हो कि मैं कृतघ्न हूँ।सिर्फ आह भरकर रह जाती हूँ…,सिर्फ आँख नम कर लेती हूँ।जब कायराना हरकत…

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मन की बात

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** सिर्फ जल ही अर्पित नहीं करती स्त्री प्रभु चरण में…,स्वेद,अश्रु भी मिले होते हैं उसके उस जल में…। सिर्फ सपुष्प ही अर्पित नहीं करती स्त्री प्रभु चरण में…,शुद्ध…

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भूल

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** मंदिर की सीढ़ी चढ़ते समय नीलिमा की आँख भरी हुई थी…,और वो बुदबुदाते हुए जा रही थी,-"मेरी सारी गलती माफ कर दीजिए भगवन,बस एक बार और मेरी गोद…

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सभा

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** पितृपक्ष विशेष........ आज चित्रवन में कागा समाज में कागा महाराज ने बड़ी सभा (मीटिंग) बुलाई है,यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। सभी कौओं ने समय…

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कान्हा मुरली बजा दे तू…

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)******************************************************* कान्हा मुरली बजा दे तू आज,नाचूं मन भर के मैं छेड़ साज…। मेरी पीड़ा को समझो जरा…,तू बजा मुरली मैं नाचूं आज…।कान्हा मुरली बजा दे तू आज… मधुबन…

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‘गणनायक’ बनने के लिए…

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)******************************************************* श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष….. सर कटवाना पड़ता है प्रथमेश बनने के लिए…,संकट में पड़ना पड़ता है विघ्नेश बनने के लिए…।पिता से युद्ध लड़ना पड़ता है गणेश बनने…

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परीक्षा

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)******************************************************* पीएससी की परीक्षा देने के लिए जैसे शहर के सारे लड़के-लड़कियां उमड़ पड़े थे…रेलवे स्टेशन में…! स्निग्धा भी अपने बैग के साथ लदी भागती हुई स्टेशन पहुंची…l ये…

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गोद भराई

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)******************************************************* विनीता के विवाह को पूरे ११ साल हो चुके थे,परंतु माँ बनने का सुख उसको मिला ही नहीं। उसके दोनों देवरों की शादी उसके सामने हुई…सालभर में दोनों…

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गरीबी है दुश्वारी

रीना गोयलयमुना नगर(हरियाणा)************************************************************* खींच रही है रोज जिंदगी,बोझ विवशता का अति भारी,पर मजबूरी मुझ अनाथ की,बनी गरीबी है दुश्वारी। बिछा हुआ अस्तित्व जमीं पर,ठोकर ही पल- पल मिलती है,मानवता मृतप्राय:…

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व्योम की विशालता…पिता

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)******************************************************* व्योम की विशालता…सागर की गहनता…प्रकृति की गंभीरता…,लिए होते हैं पिता…। मिजाज में प्रखरता…चरित्र में प्रबलता…मन में अथाह धीरता…,लिए होते हैं पिता…। दूर करके सबकी चिंता…सदा झेलते रहते दुश्चिंताकर्म…

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