नारी नहीं मजबूर

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** मज़बूर हूँ मैं,मगर ये मत समझनाकि कमज़ोर हूँ।मज़बूत हूँ मैं,साथ ही ग़रीब हूँमगर लाचार नहीं। तेरे शोषण का सबूत हूँ मैं,तेरी ही पहचान हूँ मैंफिर भी अपनों…

Comments Off on नारी नहीं मजबूर

पगडंडी

अलका जैनइंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************ आशियाने से मंजिल तलक कोई रास्ता नहीं होता यार,कोई मील का पत्थर नजर नहीं आता बहुत खोजाकोई रास्ता बताने वाला गाइड नहीं होता,कोई नक्शा नहीं पहुंचा सकता…

Comments Off on पगडंडी

जहर की खेती-माँस का सेवन बहुत हानिकारक

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************** चिंतनीय विषय.... सब देश जैविक खेती के प्रोत्साहन की वकालत कर रहे,वहीं रासायनिक खादों के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी प्रकार सरकार खाद्यानों की कमी के…

Comments Off on जहर की खेती-माँस का सेवन बहुत हानिकारक

तिरंगा प्यारा

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** सुनो मेरे देशवासियों,मनाने जा रहे७२वां गणतंत्र दिवस,कुछ संकल्प ले लो।नहीं करेंगे कोई भेद,हम जाति और धर्म परसमान भाव सबके प्रति,हम सब रखेंगे मिलकर।तभी हमारा ये देश,दिखेगा विश्व…

Comments Off on तिरंगा प्यारा

ठंड से वजनी

मीरा जैनउज्जैन(मध्यप्रदेश) ************************************************ शिक्षिका ने आवाज दी-'अरे मुन्नी! आज धूप भी नहीं है,इस कड़कड़ाती ठंड में वहां सिमट कर चुपचाप क्यों बैठी हो! देखो सारे बच्चे भागा-दौड़ी कर रहे हैं।…

Comments Off on ठंड से वजनी

तुम बिन रहा नहीं जाता

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से क्यों एक पल भी तुम बिन रहा नहीं जाता,तुम्हारा एक दर्द भी मुझसे सहा नहीं जाता।क्यों इतना प्यार दिया तुमने मुझको-कि…

1 Comment

बहुत हुआ खेल अब

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** राम को जपो,श्याम को जपो,जपो ब्रहमा विष्णु महेश कोपर मत छीनो लोगों से,तुम उनके अधिकारों को।राष्ट्र चरित्र का तुम सब,कब करोगे निर्माण ?बहुत हुआ खेल अब,जाति-धर्म का…

1 Comment

हिन्दी का बेटा हूँ

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** मैं हिन्दी का बेटा हूँ,हिन्दी के लिए जीता हूँहिन्दी में ही लिखता हूँ,हिन्दी को ही पढ़ता हूँ।मेरी हर एक साँस पर,हिन्दी का ही साया है।इसलिए मैं हिन्दी…

Comments Off on हिन्दी का बेटा हूँ

हम बन जाएँ

ज्योति जैन 'ज्योति'कोलाघाट(पश्चिम बंगाल)****************************** काव्य संग्रह हम और तुम से.... चलो,मैं और तुमहम बन जाएँ,बारिश की तरहबूँद-बूँद मैं औरबूँद-बूँद तुममिलकर,बरसात बन जाएँ।बादलों में अठखेलियाँ करएक-दूसरे में खो जाएँ,तुम मेरे कृष्णमैं…

Comments Off on हम बन जाएँ

सारे देश को जो अन्न देता

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** सारे देश को जो अन्न देता,खुद लेकिन भूखा सोताफिर भी किसी से कुछ,कभी नहीं वो कहता। क्या हालत कर दी उनकी,देश की सरकार नेकठपुतली सरकार बन बैठी,देश…

1 Comment