राष्ट्रभाषा हूँ मैं

रेणु झा ‘रेणुका’ राँची(झारखंड) ******************************************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. राष्ट्रभाषा हूँ मैं, उस देश महान की हिमालय के गोद में बसे, प्यारे हिन्दुस्तान की। युगों से ग्रंथ,काव्यों में, विचरती थी,हर लफ्ज पर मैं ही संवरती थी, आज ये हालात कि अपने ही देश में, मैं मेहमान-सी… मैं राष्ट्रभाषा हूँ, हिन्दुस्तान की। अब ‘हिंदी दिवस’ पर, … Read more

हिन्दी

कैलाश झा ‘किंकर’ खगड़िया (बिहार) ************************************************************************************ हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. निज भाषा-उत्थान में,भाषाई पहचान में, गाँधी के अभियान में,हिन्दी मचल रही। हिन्दी की जयकार है,हिन्दी ही मेरा प्यार है, हिन्दी ही रसधार है,हिन्दी सफल रही॥ हिन्दी भाषा के नाम पर,बातें हों अंजाम पर, लेखनी के काम पर,हिन्दी सबल रही। भनई कैलाश आज,जागे हैं हिन्दी समाज, … Read more

विमल प्रेम होता सफल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** स्वार्थ खड़ा है सामने,लाज तोड़ बीच प्यार। कहाँ चारु अन्तर्मिलन,इश्क आज बीमार॥ चाह कशिश अन्तर्मना,बिन उल्फ़त अहसास। मिले जीत विश्वास को,निर्मल हो आभास॥ विमल प्रेम होता सबल,त्याग शील आधार। आज पस्त कामुक फ़िजां,फँसा इश्क मँझधार॥ मधुरिम हो मन चिन्तना,भाव परस्पर प्रीत। नव तरंग नवरंग से,प्रेम मिलन उद्गीत॥ हुस्न … Read more

मैं शिक्षक निर्माणक हूँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** शिक्षक दिवस विशेष ………… शिक्षण हेतु बना मैं शिक्षक, नीति-रीति पथ परिपोषित विनयशील हो त्याग समन्वित नवयुग का नव वीक्षक हूँ। नवजातों व नवांकुरों के नवजीवन का संरक्षक हूँ, सिंचन वर्धन ज्ञानामृत से सुफल सुपात्र निर्माणक हूँ। पुराकाल गुरुकुल से लेकर नवयुगीन शिक्षा पद्धति तक, लक्ष्य मात्र शिक्षण … Read more

भज रे मन श्रीकृष्ण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** नारायण कारा जनम,लिया कंस संहार। असुर कर्म आतंक से,मुक्त किया संसार॥ नारायण अनुराग मन,पूत देवकी गेह। भाद्र मास तिथि अष्टमी,वासुदेव नर देह॥ कृष्ण अमावश कालिमा,जात कृष्ण अभिराम। कालिन्दी दे सुगम पथ,नंदलाल सुखधाम॥ लीलाधर षोडश कला,वासुदेव रच रास। राधा संग अठखेलियाँ,कर नटवर उल्लास॥ पीताम्बर घन श्याम तनु ,मोरमुकुट नित … Read more

मेरे कृष्ण

रेणु झा ‘रेणुका’ राँची(झारखंड) ******************************************************************* कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. हे देवकी पुत्र,यशोदा नंदन बसते हो राधा संग,वृंदावन, पुनः अवतरित हो जाओ नित नजरें निहारे डगर, प्रभु कब आओगे इधर हे जगत् के रखवाले कृष्ण। हे द्रौपदी की लाज बचाने वाले मथुरा का माखन चुराने वाले, नख पर पर्वत उठाने वाले साग विदुर घर खाने वाले, … Read more

कस नकेल अरि आन्तरिक

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** अरि अवसर की ताक में,यायावर चहुँओर। है भुजंग खल देश के,डँसते बनकर चोरll हालाहल विषकुंभ बन,बने मान जयचंद। वतन विरोधी दे बयां,आतंकी अभिनंदll कुलांगार घूमें वतन,बन द्रोही निर्लज्ज। बुला रहे दुश्मन यहाँ,साजिशें रच सज़्जll दे पनाह नापाक को,कर सत्ता सुखभोग। अरबों को हैं लूटते,राष्ट्र प्रगति बन रोगll छोटे … Read more

उत्सव

रेणु झा ‘रेणुका’ राँची(झारखंड) ******************************************************************* कहां मना पाती हूँ उत्सव उन सबके बिना, वो निकल पड़े अपनी राह मैं निहारती रहती डगर, जब भी वो आएंगे इधर सब मिलकर मनाएंगे उत्सव। अब तो घर सूना दिल भी सूना रहता है, हर आहट पर खटका सबके आने का, उत्सव तो अपनों की खुशियों से सजता है, … Read more

हटी तलाकी कालिमा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** पास हुआ तलाक बिल,खिले अधर मुस्कान। इस्लाम बहू बेटियाँ,कानूनी सम्मानll नामर्दी तलाक तीन,नारी दोहन अस्त्र। ध्वस्त आज अपराध बन,कानूनी बह्मास्त्र॥ नारी गृह सम्मान है,बेटी बहू व अम्ब। नहीं खिलौना मर्द की,जीवन का अवलम्ब॥ आज मुक्त नरवेदना,नारी हैं इस्लाम। इल्म यान उड़ व्योम में,प्रगति पंख अभिराम॥ तीन तलाक के … Read more

सबकी कर्मठ दादी

रेणु झा ‘रेणुका’ राँची(झारखंड) ******************************************************************* बचपन से देखा मैंने उस दादी को,वह सभी की दादी थी। हम उन्हें दादी कहते हैं,पापाजी भी दादी कहते हैं। यानी बच्चे,बड़े सभी की दादी। मेहता चाचा ने तो उन्हें सदाबहार, अन्तरराष्ट्रीय दादी की उपाधि दे दी थी। दादी मोहक व्यक्तित्व की धनी और ऊर्जा से सराबोर थी। उनका बस … Read more