शहर सोता है…
क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** गली-चौराहों में यह सन्नाटा हुआ पसरा, न कोई गतिविधि,और न कोई भी त्वरा। कोलाहल भरी सड़कों पर,नया मौन होता है, देख लेखनी! मेरा शहर बंद घरों में सोता है। जन संकुलता में भी नीरवता की यह छाया, सूने पड़े उन बाज़ारों में,नज़र कोई न आया। बंद कर इन कारखाने,बंद कर मशीनी … Read more