रखना ध्यान…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ करना मान- बुज़ुर्ग माँ-बाप का, रखना ध्यान। करोगे सेवा- निःस्वार्थ भावना से, मिलेगा मेवा। रखना ख़ुश- भूल कर मत दो, कोई भी दुःख।…

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`एक देश-एक चुनाव`…एक तीर से कई निशाने

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** द्रोणाचार्य ने पेड़ पर बैठे पक्षी को निशाना लगाने को बोला,सबने निशाने ताने,पर अर्जुन ने पक्षी की आँख को ही निशाना साधा और वह सफल हुआ।…

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स्वच्छ भारत,स्वस्थ भारत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** निर्मल मानसपटल हो,स्वच्छ शील सुविचार। निर्मलता हो कर्म में,स्वस्थ राष्ट्र आधारll स्वच्छ रखें रनिवास को,स्वच्छ रखो परिवेश। स्वच्छ रखें भू संपदा,है बापू संदेशll…

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थोड़ा-सा मुस्कुराइये…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ तनाव भरी है यह जिंदगी, थोड़ा-सा मुस्कुराइयेl सुरम्य प्रकृति की गोद में, थोड़ा-सा भ्रमण कर आइयेl बिखरी बिखरी-सी है जिंदगी, मेरे हमसफ़रl मिले…

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अनुशासित जीवन जीने की कला है योग

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विशेष……………. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और सजग बनाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र द्वारा योग को हर वर्ष २१ जून को अंतरराष्ट्रीय दिवस…

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शरणार्थी भी है इंसान

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष……….. शरण में आए, शरणार्थी बनकर लोकप्रियता निभाएं, मेहनती बनकर। प्रेम बढ़ाएं, मीठा बोलकर आस लगाए, शरण में रहकर। नमन किए हम, मिट्टी…

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शरण न जाने कहां पाए तन…

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष……….. जीवन का यह कटु परिवर्तन, विवशता कर रही नग्न नर्तन। सब-कुछ ना चाह कर भी त्यागा, और त्यागे सब घर के…

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जिंदा रखता प्रेम ही

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** गज की अनुपम एकता,नहीं जरूरत साध्य। उस एका के सामने,केहरि भी हो बाध्यll एका ही वह ढाल है,जिससे रक्षा कौम। सोलह आने सत्य यह,तिमिर…

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बेटी की आह सुनो

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** चाहे जो कानून हो,कोई भी सरकार। सोच न बदले स्वयं का,अंत नहीं व्यभिचारll शर्मनाक अमानवीय,निंदनीय आचार। मर चुकी इन्सानियत,निर्भय वह लाचारll मौत मिले…

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मैं नील गगन का वासी

देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार)  ************************************************************* मैं नील गगन का वासी, मैं सदा अभय हूँ बिन बाधा निर्भय हूँ, नहीं चाहिए कृपा किसी की नहीं दया का भाव, गुलामी से…

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