दिले-दर्द अपना सुनाते नहीं
प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (वज़्न-१२२×३-१२, अर्कान-फऊलुन×३-फआ) बुलाए बिना हम हैं जाते नहीं। अग़र बोझ समझा निभाते नहीं। अदब से मिले जो भी मंज़ूर वो, कि ख़ैरात को हम उठाते…