प्रेम मिलन

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’वाराणसी(उत्तरप्रदेश)****************************************** प्रेम मिलन का सुंदर अवसर।मंद बुद्धि खो देती अक्सरll प्रेम पताका जो ले चलता।पाता वही प्रेम का अवसरll उत्तम बुद्धि प्रेम के लायक।बुद्धिहीन को नहीं मयस्सरll भाव प्रधान मनुज अति प्रेमी।भावरहित मानव अप्रियतरll रहता प्रेम विवेकपुरम में।सद्विवेक नर अतिशय प्रियवरll प्रेमातुर नर अति बड़ भागी।पाता दिव्य प्रेम का तरुवरll प्रेम दीवाना … Read more

चाय

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस विशेष… सर्दी में संजीवनी,अदरक वाली चाय।पुण्य-लाभ का आजकल,उत्तम यही उपाय।उत्तम यही उपाय,बात यह सांची जानो।अगर पिलाई चाय,किया परमारथ मानो।कहता ‘शिव’ सच बात,दिलाती राहत जल्दी।अदरक वाली चाय,भगा देती है सर्दीll चाय गर्म सत्कार में,मिले कहीं यदि भ्रात।तो समझो जैसे मिली,बहुत बड़ी सौगात।बहुत बड़ी सौगात,दूर कर देती सर्दी।आगन्तुक मुस्काय,ना फिर … Read more

अहंकार का अर्थ ज्ञानशून्यता!

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** ना इज्जत कम होती,ना शान कम होती,जो बात तूने घमंड में कही हैं…वो बात अगर हँस कर कही होती।क्यों करते हो खुद पर गुरूर इतना,जिस पद पर आज तुम हो…वो किसी और की दी हुई इनायत है।अहंकार का अर्थ ज्ञानशून्यता है,इंसान की फितरत है,कमजोरी निकालनाअगर तू इतना बड़ा शहंशाह है तो,कलुशता … Read more

सपना

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** सपना ऐसा देखिए,खुली आँख से आप।जिससे जीवन के सभी,मिट जाएं संताप।मिट जाएं संताप,दूर हों सब कमजोरी।सृजन बनें आधार,कल्पना हों ना कोरी॥रहे लक्ष्य का भान,पंथ शिव छोड़ न अपना।रख मन दृढ़ विश्वास,पूर्ण कर ले हर सपना॥ परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का … Read more

असमंजस

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** इन बिखरे हुए अल्फ़ाज़ों को समेट लूँ,या चुप्पी का बेनाम हिस्सा बन जाने दूँ। इन बेगैरत पलों को सहेज लूँ,या यादों का जहाज बनके उड़ जाने दूँ। इन कदमों की बेचैनी को रोक लूँ,या ख्वाबों का एक हिस्सा इस दूरी को सौंप दूँ। इन नए अरमानों की बारिश में भीग लूँ,या … Read more

नाराज़गी

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)********************************************* माँ जी,रॉकी ने सुबह से कुछ नहीं खाया है,और अभी दोपहर होने को आई,वो खाने की तरफ़ तो देख ही नहीं रहा हैl ऐसा तो कभी नहीं हुआ,क्या हो गया उसको! थोड़ा देखो न…! काम वाली बाई कमला ने घबराकर अपनी मालकिन से कहाlअरे,भूख लगेगी तो खाएगा न,रहने दो उसके सामनेl तू तो … Read more

अस्ताचलगामी का भी नव-जीवन की तरह मोल

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** सूर्य सर्व सुलभ प्रत्यक्ष देवता है। आमतौर पर लोग उगते हुए सूर्य की पूजा करते हैं। सूर्य जीवन का प्रतीक है। उगता हुआ जीवन किसे अच्छा नहीं लगता,पर छठ पर्व में अस्ताचलगामी अर्थात् डूबते हुए सूर्य की पूजा से ही शुरुआत होती है।छठ पर्व से हमें साधना,तप,त्याग,सदाचार, मन की … Read more

दीपावली से जग हो सुंदर

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)********************************************* दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. आओ सब मिल दहलीज पर एकदीया जलाएं,दिया हो विश्वास का,आस काचलो फिर एक बार…सुख,सम्पदा की अलख जगाएं।आओ सब दीया… जन-जन का हो जीवन खुशहाल,रहे निरोगी सबकी कायाअब न हो अपना देश कोईमहामारी का शिकार।आओ सब दीया… अब न हो सीमा पर कोईकोई बेटा शहीद,न रुठे मांग का … Read more

भारतीय भाषाओं में है आत्मनिर्भरता का मूल

प्रो. गिरीश्वर मिश्रदिल्ली********************************************************** भाषा संवाद में जन्म लेती है और उसी में पल-बढ़ कर समाज में संवाद को रूप से संभव बनाती है। संवाद के बिना समाज भी नहीं बन सकता न उसका काम ही चल सकता है,इसलिए समाज भाषा को जीवित रखने की व्यवस्था भी करता है। इस क्रम में भाषा का शिक्षा के … Read more

लोभ में आकर न छोड़ें संस्कृति और समाज

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** अक्सर हम संस्कृति की बात करते हैं,पर कोई पूछे कि संस्कृति है क्या,तो क्या सही-सही जबाब दे पाते हैं ? संस्कृति को परिभाषित करना कठिन है; क्योंकि यह कोई वस्तु नहीं है। यह समझने की चीज है। यह हमारी भावनाओं को उजागर करने वाला वह दीप है,जो हमें औरौं … Read more