`पत्र तुम्हारे लिए` लुप्तप्राय विधा हेतु एक सशक्त प्रयास

शशांक मिश्र ‘भारती’ शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************************************************************ आकर्षक आवरण वह भी विषयवस्तु के अनुसार `पत्र तुम्हारे लिए` पुस्तक है। साहित्य जगत उसमें समाज के सन्देश के आदान-प्रदान वाली कभी लोकप्रिय रहने वाली विधा जो आज लुप्तप्राय है। पत्र साहित्य पर केन्द्रित इस कृति का सम्पादन डॉ. विमला भंडारी ने किया है। कभी दूर देश से आने वाले … Read more

नव सौगात

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** नये साल की नई सौगात, खुश रहे हर द्वार। महक उठे यह चमन सारा, खिल उठे सुप्रभात। नया राग हो नव संगीत, नई धुन नवगीत। राह नयी हो नवीन चाह, चलो लें जग जीत। आज करो यह तुम अरदास, टूटे न,यह आस। बनी रहे बस दया चितवन, खुश रहे … Read more

मौज वाले दिन

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… माँ बड़े दिन की कब लगेंगी छुट्टियां, इंतजार में बेकरार देखो बेटे-बेटियां। खुशगवार मौसम की खुशनुमा सौगात है, यीशु के जन्म दिवस पर सबको प्रेम उपहार है। चर्च में प्रार्थनाओं के मेले लगते हैं, कैंडल की जगमग से भागे चमकते हैं। इन्हीं छुट्टियों … Read more

पुराना फर्नीचर

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** धूल झाड़ते हुए सुहासिनी देवी के हाथ एकाएक रुक गए,जिस फर्नीचर पर अभी वह जोर-जोर से कपड़ा मार रही थीं,उनके हाथ अब उसी फर्नीचर को बड़े प्यार से सहला रहे थे। ये वही फर्नीचर थे,जिसे उन्होंने अपने कड़की के दिनों में भी एक-एक पैसा जोड़कर खरीदा था। उस समय इन्हीं … Read more

मान बढ़ाए हिंदुस्तानी नारी

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** हिंदुस्तान की नारी है, वो हिंदुस्तान की नारी। वो टूटी,थकी,न हारी है, न ही बनी बेचारी, न ही बनी बेचारी… वो हिंदुस्तान की नारी॥ सुन के,समझ के देख के, भ्रूण में भी हो हत्याएं। फिर भी मन ना मैल रखें, मान सभी का बढ़ाएं। और उनका दु:ख लेकर के, … Read more

बलात्कारियों को फाँसी दे दो

सोनू कुमार मिश्रा दरभंगा (बिहार) ************************************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना…………. हे राजमहल के राजवंशी,अब वंशी तान देना बंद करो, खादी के वेष में बैठे रहनुमा,सुरक्षित बेटियों का प्रबन्ध करो। बदल दो पन्ने संविधान के या बदल दो देश का विधान तुम, बदल दो नक्षत्र की दिशाएं या बदल दो संसद का परिधान तुम॥ आँखें उठती जो … Read more

किसने तुम्हें दिया हक़ इतना…

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’  इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) तुम शरीर से खेलो मेरे  और जला कर राख करो, तार-तार दामन तुम कर दो  मुझ पर रोज बलात करो। किसने तुम्हें दिया हक़ इसका, ये कैसी आज़ादी है ? भारत की ललनाएँ कहतीं, बंद सभी उत्पात करो॥   ख़ूब पढ़े सब ख़ूब बढ़े सब नारा ये लगवाते हो, … Read more

बेजार

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** जीवन है इतना बेजार क्यों, फिर भी है जिंदगी से प्यार क्यों ? समय के थपेड़े तूफानों का कहर, जिंदगी बन जाती क्यों जहर, जहर पर भी एतबार क्यों ? जीवन है इतना बेजार क्यूँ ? धुंध कहीं से छंटती ही नहीं, चादर दुखों की सिमटती नहीं… सुखों का … Read more

निर्झरणी

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** अपनी राह आप बनाती, गिरि को काट आगे बढ़ जाती। झर- झर मृदु स्वर में है गाती, लहरों रूपी आँचल बिछाती। मात्र स्वरूपा जीवनदायिनी, ‘नदी’ तू है अनुगामिनी। निरन्तर पथ पर बढ़ती जाए, बाधा चीर बढ़ना सिखाए। सींच धरा अन्न उपजाये, भूखों की क्षुधा मिटाये। गंगा,यमुना और सरस्वती, भारत … Read more

बाल अधिकार

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. अक्टूबर में मनाते थे पहले, नवम्बर आया बाद। उन्नीस,सौ,उनसठ में दी थी, संयुक्त राष्ट्र संघ ने सौगात। बच्चों के अधिकारों का ताना-बाना बुना गया, बाल दिवस मनाने को दिन दिन बीस नवम्बर चुना गया। वे हस्ताक्षर समझौतों में बच्चों के अधिकारों हेतु, एक सौ … Read more