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निर्झरणी

रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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अपनी राह आप बनाती,
गिरि को काट आगे बढ़ जाती।
झर- झर मृदु स्वर में है गाती,
लहरों रूपी आँचल बिछाती।

मात्र स्वरूपा जीवनदायिनी,
‘नदी’ तू है अनुगामिनी।
निरन्तर पथ पर बढ़ती जाए,
बाधा चीर बढ़ना सिखाए।

सींच धरा अन्न उपजाये,
भूखों की क्षुधा मिटाये।
गंगा,यमुना और सरस्वती,
भारत की पहचान बनाएं।

युग-युग से तेरी पावन,
प्यारी महिमा सब है गाएं।
‘चिनाब’ का अपना संसार,
बहते हीर-रांझा तेरी धार।

झेलम शान ए कश्मीर है,
सरजू का मीठा नीर है।
‘नदी’ की महिमा क्या-क्या बताएं ?
शब्द हमारे कम पड़ जाएं॥

परिचय-रश्मि लता मिश्रा का बसेरा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में है। जन्म तारीख़ ३० जून १९५७ और जन्म स्थान-बिलासपुर है। स्थाई रुप से यहीं की निवासी रश्मि लता मिश्रा को हिन्दी भाषा का ज्ञान है। छत्तीसगढ़ से सम्बन्ध रखने वाली रश्मि ने हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण(सेवानिवृत्त शिक्षिका )रहा है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत समाज में उपाध्यक्ष सहित कईं सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। सभी विधा में लिखने वाली रश्मि जी के २ भजन संग्रह-राम रस एवं दुर्गा नवरस प्रकाशित हैं तो काव्य संग्रह-‘मेरी अनुभूतियां’ एवं ‘गुलदस्ता’ का प्रकाशन भी होना है। कईं पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में-भावांजलि काव्योत्सव,उत्तराखंड की जिया आदि प्रमुख हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-नवसृजन एवं हिंदी भाषा के उन्नयन में सहयोग करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणापुंज-मेहरून्निसा परवेज़ तथा महेश सक्सेना हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी भाषा देश को एक सूत्र में बांधने का सशक्त माध्यम है।” जीवन लक्ष्य-निज भाषा की उन्नति में यथासंभव योगदान जो देश के लिए भी होगा।

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