सपनों की दुनिया..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ कभी हँसाती- सपनों की दुनिया, कभी रुलातीl कोई रूठता- कोई मझधार में, साथ छोड़ताl कभी उठाती- ख़्वाबों की हक़ीकत, कभी गिरातीl ख़्वाबों में…

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संसार…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सारा संसार- कभी-कभी लगता, मुझे असार। धूप या छाया- यह सब है यारों, प्रभु की माया। गोरखधंधा- मज़हबी रंग में, रंगी दुनिया। कैसा…

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सीताराम येचुरी को पत्र

निर्मलकुमार पाटोदी इन्दौर(मध्यप्रदेश) ************************************************** सेवा में मा.सीताराम जी येचुरी, महासचिव, भारतीय मार्क्सवादी पार्टी, नई दिल्ली। विषय:हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के विषय में आपका बयान। संदर्भ:२६ जून २०१९ के नवभारत…

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बरसो मेघा रे….

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखी है धरा- बरसो रे ओ मेघा... कर दो हरा। सूखे हैं ताल- कर दो हरियाली... भूखे हैं बाल। वन पुकारे- बढ़ता रेगिस्तान...…

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रखना ध्यान…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ करना मान- बुज़ुर्ग माँ-बाप का, रखना ध्यान। करोगे सेवा- निःस्वार्थ भावना से, मिलेगा मेवा। रखना ख़ुश- भूल कर मत दो, कोई भी दुःख।…

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थोड़ा-सा मुस्कुराइये…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ तनाव भरी है यह जिंदगी, थोड़ा-सा मुस्कुराइयेl सुरम्य प्रकृति की गोद में, थोड़ा-सा भ्रमण कर आइयेl बिखरी बिखरी-सी है जिंदगी, मेरे हमसफ़रl मिले…

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नहीं हो भेदभाव

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष……….. आओ, मिलकर करें प्रयासl विश्व शरणार्थी दिवस पर आज, कोई न रहे भूखा, प्यासाl सभी हों, विस्थापित कोई न…

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पावन गंगा..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ मन है चंगा- हर घर-घर में, कटौती गंगा। निर्मल नीर- हर पल कहता, मन की पीर। पावन गंगा- पापों को धोते-धोते, हो गई…

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धरा की पीर…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखता नीर- कौन समझता है, धरा की पीर। कटते वन- धरती में दरारें, झुलसे तन। बने जंजाल- चारों तरफ उगे, कंक्रीट जाल। व्यर्थ…

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उपराष्ट्रपति के वक्तव्य का भी कोई परिणाम नहीं निकला

निर्मलकुमार पाटोदी इन्दौर(मध्यप्रदेश) ************************************************** नरेन्द्र मोदी की बहुमत वाली मज़बूत और राष्ट्र हित के नाम पर जीती सरकार ने घुटने टेक दिए। वह भी तब,महात्मा गांधी की डेढ़ सौ वीं…

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