तू तमन्ना की चाँदनी

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) ********************************************************* दोस्तों की महफ़िल में हुस्न की बात चली,हर जुबाँ से तेरे ही नाम की आह निकली। दिल की जुबाँ का हर चेहरा,काश! कशमकश की खामोशी निकली,तू ही ख़ाबों की शहजादी करम-किस्मत की इल्तजा निकली। हर क़ोई दीवाना तेरा,तेरे संग जिंदगी की अर्ज,आरजू का आदमी,हर दिल की तमन्ना की चाँदनी-चाँद निकली।सबकी … Read more

मेवाड़ मुकुट

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. राजपूताना ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि, रक्त स्राव की धारा घाव की पीड़ा। युद्ध भूमि का पराक्रम,साहस,शक्ति,शौर्य की प्रतिष्ठा, परिभाषा पहचान,शान,स्वाभिमान संग्राम का सांगा राणा। सूरमा रण का रणंजय,महारथी,मृत्युंजय सांगा राणा मेवाण मुकुट का नगीना, राजपूताना संस्कृति संस्कार युग गूंज शंखनाद माटी का कण-कण गवाह। … Read more

असली-नकली चेहरा!

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** किसी की आँखों शबनम जैसे बेवफा के आँसू, किसी के जख्म जहरीली मुस्कान। किसी का मुस्कुराता गम में भी चेहरा, औरों के गम पे मुस्कुराता किसी का चेहरा। जवां जोश दुनिया की उम्मीद का चेहरा, जिन्दगी की मुश्किल से घबराया चेहरा। जिन्दगी के सफर के शाम के ईमान का … Read more

जन्नत की जीनत

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** आँखों को मलती मसलती बालों में हाथों की कंघी फेरती, आईने में खुद का चेहरा निहारती। रात की नींद के ख्वाब से जागती, कली कचनार की गुलशन गुलाब की,माडवे की चमेली। खुशबू रात रानी बाहर,झील में खिलता कमल, जहाँ,जमाने में हुस्न,इश्क जलती जवानी अंगार। खुदा को खुद से रश्क,जन्नत … Read more

भारत की संस्कृति-संस्कार,ताकतवर हथियार

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** विश्व लड़ रहा युद्ध मची हाहाकार,ना मैदान युद्ध का-ना गोली-ना तोप-बारूद,ना बम वर्षा,ना एटमी हथियार की धमकी,ना मिसाइल की मार, घर में बैठा इंसान अदृश्य विषाणु की है दहशत मार। एक-दूजे से दूरी रखने के अपराध की सजा काट रहा इंसान, ना कोई दफा मुकदमा,ना कोई मुंसिफ दलील सजायाफ्ता … Read more

सारथी का स्वार्थ बस इतना-सुरक्षित भारत रहे

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** कोरोना का सच-दुश्मन है गुमनाम नहीं क़ोई ईमान है, चहुँओर जोखिम खतरे का रोना ‘कोरोना’ भान है। किस तरह कैसे करेगा वार दुनिया अनजान है, हर तरफ युद्ध का घोष,नहीं कोई हथियार है। छोटे से विषाणु ने विश्व की डाली सांसत में जान है, भारत है विश्वगुरु,नरेंद्र दामोदर कृष्ण … Read more

हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** हर सुबह ऊषा कीबेला संग लाती नव जीवन का संकल्प मधुर मुस्कान, हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान। हर ऊषा की बेला में मन्दिर में घंटे घड़ियाले बजते,मस्जिद में फज़र नमाज, चर्च में प्रेयर,गुड मॉर्निंग का ऑल माइटी गॉड। हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान… मुर्गे की बांग गाँव में ऊषा … Read more

तेरी चाहत दुनिया की तकदीर

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** लव है पैमाना,नज़रे है मैख़ाना, तेरी चाहत दुनिया की तकदीर दीदार बिन पिए बहक जाना। सावन की घटाएं तेरी जुल्फें अंदाज है मस्ताना, गजगामिनी अंदाज़ अशिकाना,हुस्न की हद हैसियत नजराना। क़दमों की आहट से ज़माने में हलचल धड़कते दिलों की है तू जाने जाना, हवाओं में उड़ती जुल्फें कभी … Read more

नारी है जग जननी है लक्ष्मी

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** नारी है जग जननी है लक्ष्मी, जन-जन जीवन की संगिनी। बहना है भाई की ताकत, इज़्ज़त का गहना है। ब्रह्माण्ड निर्माण की आधार, बिन नारी मिथ्या कल्पना संसार॥ नारी नित्य निरंतर प्रवाह से नश्वर संसार, गर नारी नहीं तो सिर्फ स्वर संसार। नारी जग की साहस,शक्ति,त्याग-तपस्या, बलिदान की दुनिया … Read more

ब्रह्माण्ड का न्यासी सन्यासी

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** भोला शंकर औघड़दानी ब्रह्माण्ड का पालन कर्ता, जीव जीवन आत्मा का परमात्मा कराल विकराल महाकाल शिवा सत्य सत्यार्थ। तन में भस्म लगाये पहने मृगछाला, मुकुट भाल का चाँद जटाओं से बहती पतित पावनी गंगा की निर्मल निर्झर अविरल धारा, कर सोहे डमरू त्रिशूल गले में नाग की माला। भांग … Read more