नहीं ये प्यार है साक्षी

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** करे नीलाम जो इज्ज़त,नहीं व्यवहार वो अच्छा, तमाशा जो बने चाहत,नहीं है प्यार वो अच्छा। बहे माँ-बाप के आँसू,अगर औलाद के कारण- नहीं औलाद…

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दौलत और मुहब्बत

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** किसी का दिल नहीं तौलो,कभी धन और दौलत में, नहीं औकात सिक्कों में...खरीदे दिल तिजारत में। नहीं बाज़ार में मिलता,...नहीं दिल खेत में उगता-…

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वर्षा

अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़) ***************************************************************************** लगे सुहानी वर्षा प्यारी। मंद पवन की ठंडक न्यारी॥ छोड़ घोंसला पंछी भागे। पेड़ों पर नव पल्लव जागे॥ कहे पपीहा मीठी वाणी। छुप-छुप किया करे मनमानी॥…

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बरसात

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** धरा की देख बैचेनी,पवन सौगात ले लाया, तपी थी धूप में धरती,गगन बरसात ले आया। घटा घनघोर है छाई,लगे पागल हुआ बादल- सजाकर बूंद…

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बल-प्रखर महाराणा प्रताप

अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़) ***************************************************************************** राणा प्रताप प्रखर,प्रबल है प्रभाव, अणु-अणु में मुखर अनंत,अडिग अटल स्वभाव। राजपूत की नाक वे,आन-बान की शान, बने प्रताप सदा ही,सबल सख्त इंसान। मुगलों को धूल…

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शपथ

अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़) ***************************************************************************** सदा सच बोलूँ,ये शपथ लेता हूँ। झूठ की पोल खोलूँ,ये शपथ लेता हूँ। भ्रष्ट कदम डगमगाने लगे अगर कभी तो- उन कदमों में शूल चुभाऊँ,ये शपथ…

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आतंक और दो बूंद आँसू

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** उफ़्फ़!! क्या लिखूँ....? कैसे लिखूँ....? इस अबोध की भाँति आज, कलम हमारी थम गयी। देखकर यह तस्वीर रातभर मैं सो नहीं पाया, आँखों से…

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चुनावी जाल

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** रचना शिल्प:काफ़िया-आज़,रदीफ़- मैं लिख दूँ सियासी खेल के हर शख्स का राज़ मैं लिख दूँ, बदलते देश के हालात पर अल्फ़ाज़ मैं लिख दूँ।…

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गद्दारों की बोली

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** निकल पड़ी फिर से जयचंदों की टोली है, सुनो इनकी कैसी ये देशविरोधी बोली है। पाक की मेहबूबा रोई,अब्दुल्ला भन्नाया है, आतंकी आका को…

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शुभ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

हिन्दीभाषा.कॉम मंच के रचनाकार साथी उषा कनक पाठक जी  का १० मार्च को शुभ जन्मदिन है..इस पटल के माध्यम से आप उनको शुभकामनाएं दे सकते हैं…..

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