नहीं ये प्यार है साक्षी
पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** करे नीलाम जो इज्ज़त,नहीं व्यवहार वो अच्छा, तमाशा जो बने चाहत,नहीं है प्यार वो अच्छा। बहे माँ-बाप के आँसू,अगर औलाद के कारण- नहीं औलाद वो अच्छी,नहीं संस्कार वो अच्छा। नुमाईश हो अगर दिल की,नहीं वो प्यार कहलाता, करे माँ- बाप को रुसवा,नहीं अधिकार कहलाता। मुहब्बत नाम है संयम,मुहब्बत त्याग … Read more