बुराई में अच्छाई
आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** क्यूँ कहते हो कि ये मुझसे नहीं होगा ? क्यूँ कहते हो कि ये मेरे लिए बना नहीं होगा ? बनी तो दुनिया भी सिकंदर के लिए नहीं थी, पर उसकी मेहनत में कोई शक भी तो नहीं था। वो बैठा न था,किस्मत के भरोसे, वो चलता न था,काफिलों के … Read more