मैं जायदाद क्यूँ…?

ज्ञानवती सक्सैना ‘ज्ञान’जयपुर (राजस्थान) ******************************************** नारी और जीवन (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)…. हम नदी के दो किनारे हैं,जब चलना साथ हैतो इतना आघात क्यूँ,तुम तुम हो तोमैं मैं क्यूँ नहीं,मैं धरा हूँ तोतुम गगन क्यूँ नहीं,मैं बनी उल्लास तोतुम विलास क्यूँ,मैं परछाईं हूँ तुम्हारी,फिर अकेली क्यूँ ? तुम एक शख्सियत हो,तो मैं मिल्कियत क्यूँतुम एक व्यक्ति … Read more

द्वारिकाधीश

ज्ञानवती सक्सैना ‘ज्ञान’जयपुर (राजस्थान) ******************************************** जन्माष्टमी विशेष….. दुनिया कहती द्वारकाधीश,पर मुझे मिला नहीं आशीष। सारा वैभव लगे है फीका और मन मेरा कंगाल,तुम बिन राधे मिला न ख़ुद से,सब-कुछ लगता है जंजाल। राजकाज में ऐसा उलझा है सर काँटों का ताज,हृदय विदीर्ण करें सब वैभव,मेरे मन के साज़। छूटा गोकुल,छूटा वृंदावन,छूटे प्रिय गैया और ग्वाल,छप्पन … Read more

मीठी यादें

ज्ञानवती सक्सैना ‘ज्ञान’जयपुर (राजस्थान) ******************************************** ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. पापा मुझे आपकी बहुत याद आती है,नसीहत-सी बातें बहुत याद आती हैंवह मीठी-मीठी यादें,कितना भाती हैं,यादों में आकर यादें,कभी बहुत रूलातीं हैं। हजारों उलझनों की इकलौती चाबी आप,हर आँधी-तूफां में महफूज रखते आपहर मुश्किल घड़ी में ढाल बन जाते आप,दे हिदायतें जीना … Read more

चूक ना जाएं ये रिश्ते ऋतुओं से

अनूप कुमार श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… जहां तक हो जल,वहीं तक बादल है,वहीं पर जीवन हो,वहीं पर नवल है। बचाना है इक-इक बूँदें बरसाती,धरा गरमाई कबसे अब घायल है।बढ़ाना हर तरफ से यूँ हरियाली है,वही हो घर जहां पर बरगद-पीपल है॥ नदी कुओं झीलें तालाबें सब सूखी,पिघलना परबत शिखरों का भी … Read more

सुरमई शामों के साए

कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना ‘गिरीश’भोपाल(मध्यप्रदेश)************************************************* काव्य संग्रह हम और तुम से तुम बिन सुरमई शामों के साए, लाओ,मैं चुन-चुन कर उन्हें सजा दूंगा।तुम सिसक-सिसक आहों के गीत गाओ,मैं अश्कों का संगीत बहा दूँगा॥ मधुबन के झुलसे सायों में,बीते वसंत की सूनी बाँहों में।तुम चुन-चुन आशाओं के दीप जलाओ,मैं साहस की ज्योति जला लूँगा॥तुम बिन सुरमई … Read more

प्यार में यूँ मरना चाहती

रचना सक्सेनाप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)**************************************** मैं समुंदर में उतरना चाहती,प्यार में यूँ डूब मरना चाहती। छोड़ दूँ सारा जहाँ उसके लिये,याद में उसके सँवरना चाहती। है खुदा के नाम में उल्फत निहां,नफरतों सें मैं उबरना चाहती। चाहती हूँ हरितिमा हो हर तरफ,फागुनी कुछ रंग भरना चाहती। दिल दुखाना ही जहाँ में पाप है,मैं नहीं यह पाप करना चाहती। … Read more

हिन्दी है हितकर सदा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************************************ हिंदी दिवस विशेष….. हिन्दी हितकर है सदा,हिन्दी इक अभियानlहिन्दी में तो आन है,हिन्दी में है शानll हिन्दी सदा विशिष्ट है,हिन्दी है उत्कृष्टlहिन्दी अपनायें सभी,होकर के आकृष्टll कला और साहित्य है,पूर्ण करे अरमानlहिन्दी में है उच्चता,शरद सभी लें मानll हिन्दी का उत्थान हो,हिन्दी का सम्मानlहिन्दी पर अभिमान हो,हिन्दी का गुणगानll हिन्दी … Read more

‘माथे की बिंदी’ बनाने में आम हिन्दी सुगम राह

कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना ‘गिरीश’भोपाल(मध्यप्रदेश)************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. हिन्दी देश के माथे की बिंदी यह वाक्य या कहूँ तो यह कथ्य मैं अपने होश के साठ-पैसठ वर्षों से सुन रहा हूँ,गौरवान्वित भी रहा हूँ और आज भी हूँ। कभी-कभी परन्तु यह गौरव मुझे थोथा या ढकोसला सा लगता है। सोचा,बहुत सोचा,हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है अतः … Read more

मास्साब!!

कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना ‘गिरीश’भोपाल(मध्यप्रदेश)************************************************* शिक्षक दिवस विशेष……….. मास्साब में तुमरो बक्सा बिस्तर ले जा रओ,रोटी उतई खइयो लुगाई बना ले हे कह कर वह बक्सा बिस्तर ले कर चला गया। जै का बात भई ? उलाहने के साथ पिरभू बोला,-मास्साब तुमरो इत्तो बड़ो घर पड़ो है जे का लई ? ऊपर को कमरो अटारी … Read more

मेरा अनुभव-मेरी सीख

वीना सक्सेनाइंदौर(मध्यप्रदेश)*********************************************** बात थोड़ी पुरानी है,मेरे बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो चुके थे,उनकी शिक्षा लगभग पूरी हो चुकी थी…अतः घर- गृहस्थी से मुझे काफी समय मिल जाता था..तो सोचा क्यों ना कुछ इस खाली समय का सदुपयोग किया जाए… कोई एक संस्था ज्वाइन कर ली जाए..। हमारे एक परिचित हैं वे मुझे एक सामाजिक … Read more