दीपावली मिलन में बिखरी काव्य फुलझड़ियां

देवास l साहित्य संस्था,संस्कृति साहित्य रचनालय ‘संसार’ (देवास) के संयोजन में दीपावली मिलन काव्य गोष्ठी २ नवम्बर को त्रिभुवन शर्मा के निवास (कर्मचारी कालोनी) पर आयोजित की गई। देवास के जाने-माने कवि-शायरों ने दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए अपनी बेहतरीन कविता व शायरियों से कार्यक्रम को यादगार बनाया। इस गोष्ठी कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थापक प्रभाकर … Read more

प्रेम-अपेक्षा भी नहीं,उपेक्षा भी नहीं

गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** प्रिय तेरी अनुपस्थिति में, मन व्याकुल स्थिति में खोया रंगीन हस्ती में, बैठा यादों की कश्ती में मंद-मंद पवन की उपस्थिति में, खुशियों की बस्ती में मन मोहित मेरा मेरी प्रकृति में, तन भी रीझ दिया तेरी सुंदर आकृति में। मैं बाट ढूंढता तुम तक आने को भरा प्रेम मस्ती में, … Read more

एक पैग़ाम-युवा पीढ़ी के नाम…`प्रेम विवाह`

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* जब कोई बेटा या बेटी अच्छा काम करते हैं,तो उसके माता-पिता गुरुओं के साथ-साथ और भी बहुत से लोग होते हैं,जिनका सिर गर्व से ऊँचा हो जाता है,लेक़िन वही बेटा या बेटी जब कोई ग़लत काम कर डालते हैं तो उनके माता-पिता के साथ साथ उनसे जुड़े बहुत सारे … Read more

सिले रहे होंठ..रुंधा रहा गला

कुँवर प्रताप सिंह कुंवर बेचैन प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** वह कहता था वह सुनती थी, जारी था एक खेल कहने-सुनने का। खेल में थी दो पर्चियाँ एक में लिखा था ‘कहो’, एक में लिखा था ‘सुनो।’ अब यह नियति थी, या महज़ संयोग ? उसके हाथ लगती रही वही पर्ची जिस पर लिखा था ‘सुनो।’ वह सुनती … Read more

चाहत

कुँवर प्रताप सिंह कुंवर बेचैन प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** चाहा था हमने फूल बनना गुलिस्तां का, पर फूलों को तन्हा छोड़ देते हैं लोग। फूलों के लिए लाजमी है खिल के रहना, मुरझाते ही मुँह अपना मोड़ लेते हैं लोग। यूँ भी मुरझा जाना है चार दिन के बाद, पहले ही जाने क्यूँ फिर तोड़ लेते … Read more

पत्थर दिल

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** अब जा के, मेरे मन को आया,करार जब मैंने, अपने दिल को पत्थर पाया। है बहुत फिक्रमंद,और चाहने वाले,मेरे न जाने क्यूँ, मेरे दिल मे अभिमान आया,जो अपने दिल को पत्थर पाया। हो जाती है, मुहब्बत एक बेजुबाँ से फिर क्यों मैंने हँसी में, किसी का दिल दुखाया। अभिमान,गुरुर और बेतुकी … Read more

क्योंकि उनका मन ही नहीं…

गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** एक बार फिर सजेगी आँसूओं की सेज मेरी, एक बार फिर रोऊँगा याद में उनकी… क्योंकि,उनका मन ही नहीं-उनका हूँ मैं, एक बार फिर टूट गए सारे सपने मेरे मन के। एक बार फिर बरसात होगी, बादल आँखों में झलक रहे हैं… घाव बढ़ते ही जा रहे हैं इस तन के। … Read more

विदा करते वक्त अम्मा भी रोई थी…

गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** जब लांघी थी घर की चौखट, मेरे घर की दहलीज़ भी रोई थी चुपके-चुपके झांकता था जहां से, उस दीवाल की खिड़की भी रोई थी जब चला था घर से शहर की ओर, मुझे विदा करते वक्त मेरी अम्मा भी रोई थी। मेरी आँखें भी डबडबा गईं, पर किसी तरह संभाला … Read more

उठो,जागो…

ललित प्रताप सिंह बसंतपुर (उत्तरप्रदेश) ************************************************ उठो,जागो…, फिर से नयी शुरूवात करोl खत्म हो गये हैं जो रिश्ते, उनसे फिर शुरू बात करो अगर जो मानें तो बेहतर, नहीं फिर दरकिनार करोl उठो,जागो… बहुत लोग मिलेंगे जीवन में, उनके बारे में सब ज्ञात करो लगे जो भी मृदुभाषी तुमको, उन्हीं का बस चुनाव करोl उठो,जागो… … Read more

गुलाब ले लो

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* सिग्नल की हर गाड़ी की खिड़की पर देती है वो दस्तक, शोर चाहे कितना भी हो ट्रैफिक का सबके कानों में चुभती, उसकी वो टक-टकl मटमैली-सी है उसकी फ्रॉक, बाल बिखरे,कहीं पर टूटी क्लिप को संभाले हुए, नज़र आती है वो हर रोज़ सड़क पर हाथों में गुलाब का गुलदस्ता … Read more