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दीपावली मिलन में बिखरी काव्य फुलझड़ियां

देवास l

साहित्य संस्था,संस्कृति साहित्य रचनालय ‘संसार’ (देवास) के संयोजन में दीपावली मिलन काव्य गोष्ठी २ नवम्बर को त्रिभुवन शर्मा के निवास (कर्मचारी कालोनी) पर आयोजित की गई। देवास के जाने-माने कवि-शायरों ने दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए अपनी बेहतरीन कविता व शायरियों से कार्यक्रम को यादगार बनाया।
इस गोष्ठी कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थापक प्रभाकर शर्मा ने की। अज़ीज रोशन व विश्वनाथ मांडलिक विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। काव्य गोष्ठी सबसे पहले शिवम जाधव की गुरु वन्दना से शुरू हुईl उसके बाद युवा शायर आरिफ़ वारसी ने अपनी बेहतरीन शायरियां पढ़ी-ख़ुशियाँ ख़रीदने की मेरी हैसियत न थी। ग़म मुफ़्त बंट रहे थे सो मैं ले के आ गया। राजेश चौधरी ने मालवी गीत-थारी याद में रोई रे आधी रात,चली रे पूरी रात हिचकी। सुरेन्द्र हमसफ़र ने अपनी व्यंग्य रचना-मदारी का जमूरा पढ़ीl दिलीप मांडलिक ने अपनी शानदार रचना-‘कविता’ विश्व को सम्बोधित एक प्रेम-पत्र है…पढ़ी। गोष्ठी में वरिष्ठ शायर अज़ीज़ रोशन ने कहा-जिस तरह से मैं चाहता हूँ,वैसा नहीं होता। जब तक कि,मेरी जेब में पैसा नहीं होता।सलाउद्दीन 'सलिस' ने अपनी बहुत खूबसूरत शायरियों और राष्ट्रप्रेम के गीत से महफ़िल को बहुत ऊंचाई दी-अम्नो-अमा के दीप जलाने की बात कर। टूटे हुए दिलों को मिलाने की बात कर।अक़बर देवासी साहब ने-अर्शेआज़म से सबा मेरी दुआ ले जाएं। कश्ती-ए- अम्न को साहिल पे खुदा ले जाएं।`
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रभाकर शर्मा ने मध्यप्रदेश की महत्ता बताते हुए सुन्दर गीत पढ़ा। साथ ही विजय जोशी,एस.एन. दुबे और श्री मांडलिक ने भी सुन्दर रचना पाठ किया। संचालन रचना शिल्पी सुरेन्द्रसिंह राजपूत ‘हमसफ़र’ ने किया। आभार श्री मांडलिक ने व्यक्त किया।

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