तू साथ दे
शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’लखनऊ (उत्तरप्रदेश)************************************************* ये रूह जिस्म से अब निकलना चाहती है,तू साथ दे बाँहों में पिघलना चाहती है। यूँ तो शिक़ायत नहीं है मुझे जिंदगी से,पर ये आज बस तन्हा जलना चाहती है। कोई दरिया का समंदर तो बह जाए आज,ये आँखें आज फिर से बहलना चाहती है। मालूम नहीं क्या ख़लिश है जिंदगी … Read more