निकले थोथे यार!
डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ जब दौलत की लालसा,बांटे मन के खेत,ठूँठा-ठूँठा जग लगे,जीवन बंजर रेतl दो पैसे क्या शहर से,लाया अपने गाँव,धरती पर टिकते नहीं,अब सौरभ के पाँवl तुझमें मेरी साँस है,मुझमें तेरी जान,आओ मिलकर तय करें,हम अपनी पहचान। कहा सत्य ने झूठ से,खुलकर बारम्बार,यार मुखौटे और के,रहते हैं दिन चारl कौन पूछता योग्यता,तिकड़म है आधार,कौवे … Read more