चले जा रहे…

डॉ. उषा किरणमेरठ (उत्तरप्रदेश)******************************************* कुछ रास्ते कहीं भी जाते नहीं हैं,किसी मंजिल तक सफर कुछकभी पहुँचाते नहीं हैं,चल रहे हैं क्यूँकिचल रहे हैं सब,फितरत है चलना…तो चले जा रहे हैं…। जब भी देखा पलट कर,वहीं खड़े थेजबकि सालों-साल,बा-राह हम चलते रहे थेठीक,सफर में जैसे,मीलों साथ दौड़कर भीपीछे छूटे दरख्त,वहीं तो खड़े थेहाँ,उड़ जाते हैं बेशकसहम … Read more

वैलेंटाइन-डे

डॉ. उषा किरणमेरठ (उत्तरप्रदेश) ******************************************* काव्य संग्रह हम और तुम से नहीं,आज तो नहीं है मेरा ‘वैलेंटाइन-डे’लेकिन…मेरे हाथों में मेंहदी लगी देख तुमनेसमेट दिए थे चाय के कप जिस दिन,बुखार से तपते माथे पर रखींठंडी पट्टियाँ जब,ठसका लगने पर पानी देपीठ सहलाई जब,जानते हो मुझे मंडी जाना नहीं पसंद तोफ्रिज में लाकर सहेज दिएफल-सब्जियाँ जब,ठंड … Read more

मैं और हम

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** मैं और हम में बस इतना फर्क है…मैं अहम को अपनाता है और हम अहम को धिक्कारता है। मैं और हम में बस इतना फर्क है…मैं अपनेपन में जीवन चाहता है और हम अपनापन में जीवन देखता है। मैं और हम में बस इतना फर्क है…मैं संकीर्णता में सोचता है और … Read more

एकता का रूप है हिंदी

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** वंदे मातरम की शान है हिंदी,देश की माला का स्वरूप,भारत माँ का मान है हिंदी। अन्य भाषाओं से बढ़कर है हिंदी,भारत भारतीयों के साथ,संविधान का गौरव है हिंदी। हिंदुस्तान के नाम में है हिंदी,कड़ी से कड़ी जोड़ने वाली,देश को एक मुठ्ठी में करने वाली है हिंदी। भारत की आत्मा,चेतना है हिंदी,एकता … Read more

उम्र का दौर

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** गुजरते देखा आज उम्र को,जब पड़ी स्वयं पर नजर। उम्र खुद को खुद से जुदा कर,चेहरा-चेहरे से बिछुड़ गया किस कदर। बढ़ती उम्र जीवन के साथ ही,बीत चला जीवन का सफर। उम्र का हर इक दौर,धरता चला अपने समय पर। उम्र का नजरिया भी देखो,स्वयं से रुबरु होने में बीत जाती … Read more

मैं और हम

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** ‘मैं’ और ‘हम’ में बस इतना फर्क है,मैं अहम् को अपनाता है औहम अहम् को धिक्कारता है। मैं और हम में बस इतना फर्क है,मैं अपनेपन में जीवन चाहता है और…हम अपनापन में जीवन देखता है। मैं और हम में बस इतना फर्क है,मैं संकीर्णता में सोचता है और…हम व्यापकता की … Read more

एक दोस्ती कृष्ण-सुदामा की

उषा शर्मा ‘मन’ जयपुर (राजस्थान) **************************************************** कृष्ण-सुदामा की दोस्ती,अब इस जगत् में ना रही, दोस्ती तो दूर,अब यहां इंसानियत तक ना बची। पूछा सुदामा ने कृष्ण से,दोस्ती का असली मतलब, दिया उत्तर कृष्ण ने,`वहां दोस्ती नहीं,जहाँ होता है मतलब।` खुशियों में तो अपनों के साथ,पराए भी शामिल होते हैं, जो दे साथ दु:ख-दर्द में,वह कृष्ण-सुदामा … Read more

नमन देश के वीर सपूतों को

उषा शर्मा ‘मन’ जयपुर (राजस्थान) **************************************************** नमन देश के वीर सपूतों को… थे एक वीर शहीद जिन्हें, पुकारते थे ‘आशुतोष।’ नई उमंग नहीं तरंग लिए मन में, उनके कदमों से पराजय थी कोसों-कोस। नमन देश के वीर सपूतों को… जिनमें शामिल थे एक वीर ‘अनुज।’ देश भी याद करेगा ऐसे वीर को, जिनके कर्म-कर्तव्य में … Read more

उन्नति के उच्च शिखर में अनुशासन का अर्थ

उषा शर्मा ‘मन’ जयपुर (राजस्थान) **************************************************** सामान्यतः जब कभी भी व्यक्ति को अनुशासित रहने के लिए कहा जाता है तो वह उसका प्राय: अर्थ लगा लेता है कि उससे उसकी आजादी छीनी जा रही है। वास्तव में अनुशासन आजादी नहीं छीनता,बल्कि हमें व्यवस्थित व मानवीय ढंग से रहना सिखाता है। इस जगत में पशु-पक्षी भी … Read more

प्रकृति को बचाना सबसे बड़ा कर्तव्य

उषा शर्मा ‘मन’ जयपुर (राजस्थान) **************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. मचाया प्रकृति ने जब हाहाकार, सारे उपाय हुए मानव के बेकार। संभल जा ओ! मानव… ऐ! मानव मत सताया करो इस प्रकृति को, इसी की गोद में बैठ कर मत करो बर्बाद इसे। उठ जा अभी भी समय है तेरे पास, यह भी तेरी … Read more