उषा शर्मा ‘मन’
जयपुर (राजस्थान)
****************************************************
सामान्यतः जब कभी भी व्यक्ति को अनुशासित रहने के लिए कहा जाता है तो वह उसका प्राय: अर्थ लगा लेता है कि उससे उसकी आजादी छीनी जा रही है। वास्तव में अनुशासन आजादी नहीं छीनता,बल्कि हमें व्यवस्थित व मानवीय ढंग से रहना सिखाता है। इस जगत में पशु-पक्षी भी किसी-न-किसी तरह अनुशासित रहते हैं। आसमान में उड़ने वाले पक्षी भी एक कतार बनाकर चलते हैं। जब गोधूलि बेला का समय होता है,तब सारे पशु एकसाथ अपने-अपने घर लौट आते हैं,तो मनुष्य इन पशु-पक्षियों के अनुशासित जीवन से भी कुछ सीख सकता है,किंतु नहीं वह तो अपने ही मनमाने ढंग से अपना आचरण सिद्ध करता रहता है। अगर कोई व्यक्ति अनुशासित ढंग से जीना चाहता है तो इस विषय पर दो या तीन व्यक्तियों का भी मतैक्य नहीं है। अगर अपने देश में सारे घरों या परिवारों में बालक को बचपन से ही अनुशासित रहना सिखाया जाए तो शायद देश का भविष्य कुछ और ही हो,तथा भारत देश विकासशील से विकसित देशों की अग्रणी श्रेणी में शामिल हो जाए।
अपने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी कहा था कि,-“अनुशासन राष्ट्र का जीवनरक्त है।” इस प्रकार उन्होंने भी अनुशासन को राष्ट्र की प्रगति की आधारशिला माना। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन होना आवश्यक है। अनुशासन के बिना वह जीवन असभ्य प्रतीत होता दिखाई देता है। यदि अपने देश का प्रशासन, विद्यालय,समाज,परिवार आदि सभी अनुशासित ढंग से कोई कार्य नहीं करेंगे,तो यह भारतीय सभ्यता प्रागैतिहासिक काल से भी पूर्व चली जाएगी और जिसको वर्तमान में लाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। जो व्यक्ति अनुशासन के नियमों का पालन नहीं करता, उनके लिए आवश्यक है कि वह अपने जीवन में कोई भी कार्य करने से पूर्व अपने जीवन को अनुशासित ढंग से जीए अर्थात् किसी भी इंसान में मानवीय आदर्शों का होना आवश्यक है। इसके बिना व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में कोई मुकाम हासिल नहीं कर सकता। अनुशासन की बंदिशें हमारी आजादी नहीं छीनती,बल्कि यह हमें अपने जीवन में और अधिक ऊंचा उठाने का मार्ग प्रशस्त करती है। बाह्य अनुशासन व्यक्ति को सफल बनाता है,किंतु आंतरिक अनुशासन व्यक्ति को एक आदर्श नागरिक बनाता है ।
परिचय-उषा शर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘मन’ है। जन्म तारीख २२ जुलाई १९९७ एवं स्थान-मानपूर नांगल्या(जयपुर) है। राजस्थान निवासी उषा शर्मा ‘मन’ का वर्तमान निवास बाड़ा पदमपुरा( जयपुर)में ही है। इनको राष्ट्रभाषा हिंदी सहित स्थानीय भाषा का भी ज्ञान है। ‘मन’ की पूर्ण शिक्षा-बी.एड.एवं एम. ए.(हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में फिलहाल अध्ययन जारी है। आपकी लेखन विधा-लेख कविता,संस्मरण व कहानी है। पसंदीदा हिंदी लेखक जयशंकर प्रसाद को मानने वाली उषा शर्मा ‘मन के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-
“हिंदी भारत देश के लिए
गौरवमयी भाषा है,
देश की माला का स्वरूप,
भारत माँ का मान है हिंदी।
साहित्य की मन आत्मा का,
जन्मों-जन्मों का साथ है हिंदी।
कवि लेखकों की शान ही हिंदी,
हिंदुस्तान के नाम में है हिंदी॥”