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एक दोस्ती कृष्ण-सुदामा की

उषा शर्मा ‘मन’
जयपुर (राजस्थान)
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कृष्ण-सुदामा की दोस्ती,अब इस जगत् में ना रही,
दोस्ती तो दूर,अब यहां इंसानियत तक ना बची।

पूछा सुदामा ने कृष्ण से,दोस्ती का असली मतलब,
दिया उत्तर कृष्ण ने,`वहां दोस्ती नहीं,जहाँ होता है मतलब।`

खुशियों में तो अपनों के साथ,पराए भी शामिल होते हैं,
जो दे साथ दु:ख-दर्द में,वह कृष्ण-सुदामा होते हैं।

दोस्ती में नहीं होती,किसी धन-दौलत की आस,
गोविंद से बड़ी दौलत,ना थी सुदामा के पास।

निभाने वालों से ज्यादा,दोस्ती बड़ी नहीं होती,
खेद है आज का,दोस्ती कृष्ण-सुदामा सी नहीं होती।

वासुदेव का चेहरा,चमक उठा मित्र के लौट आने पर,
नंगे पाँव ही दौड़े चले,सुदामा को अपने पास बुलाने पर।

अमीर वह नहीं जिसके पास,धन-दौलत हो,
अमीर वह है जिसके पास,कृष्ण-सुदामा सी दोस्ती हो।

सच्चे अच्छे मित्र,कृष्ण-सुदामा से होते हैं,
जन-जन भी इनकी दोस्ती के,मोहताज होते हैंll

परिचय-उषा शर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘मन’ है। जन्म तारीख २२ जुलाई १९९७ एवं स्थान-मानपूर नांगल्या(जयपुर) है। राजस्थान निवासी उषा शर्मा ‘मन’ का वर्तमान निवास बाड़ा पदमपुरा( जयपुर)में ही है। इनको राष्ट्रभाषा हिंदी सहित स्थानीय भाषा का भी ज्ञान है। ‘मन’ की पूर्ण शिक्षा-बी.एड.एवं एम. ए.(हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में फिलहाल अध्ययन जारी है। आपकी लेखन विधा-लेख कविता,संस्मरण व कहानी है। पसंदीदा हिंदी लेखक जयशंकर प्रसाद को मानने वाली उषा शर्मा ‘मन के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-
“हिंदी भारत देश के लिए
गौरवमयी भाषा है,
देश की माला का स्वरूप,
भारत माँ का मान है हिंदी।
साहित्य की मन आत्मा का,
जन्मों-जन्मों का साथ है हिंदी।
कवि लेखकों की शान ही हिंदी,
हिंदुस्तान के नाम में है हिंदी॥”

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