एकांत प्रकृति की ओर…

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************************** एकांत में आते हैं कितने ही विचार, अकेलेपन में अतीत कोलाहल बन जाता है। एकांत में उस काली चिड़िया की, चहचहाहट मधुर लगती है। कबूतर के जोड़े की गुटर गूं, उनके पंखों की फड़फड़ाहट अपने इस घरौंदे में भली लगती है। ऐसे कितने ही पलों से, अपरिचित से थे … Read more

इतवार कुछ यूँ कहता है…

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************************** सुबह ने कहा-कब तक सोती रहोगी ? जरा दरवाजा तो खोलो, देखो! तुम्हारे घरोंदे में धूप निकल आयी है। घर का बेतरतीब से पड़ा सोफा बोला- मुझे कब ठीक करोगी ? अलमारी भी धीरे से चिल्लाई… कब तक ऐसे बिखरी पड़ी रहूंगी! मुझे भी आज सँवार दो। तभी,बीच में … Read more

दर्द

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************************** कितनी अजीब तरह से कराहती हुई चिल्ला रही है…। तभी अंदर से दादी बोली-“अरे! सुन गुड़िया इस कुत्ते को भगा,किस तरह से रो रहा है यह! अपशगुन होता है।” “दादी कुत्ता नहीं,काली कुत्ती है जिसने अभी बच्चे दिए थे सामने के बंद पड़े घर में,वो है।” “अच्छा,तो भगा उसको … Read more

धो डालो जन्मे कलंक को

वन्दना शर्मा’वृन्दा’ अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** हैदराबाद घटना-विशेष रचना………….. आह,छि!धिक्कार है ऐसी मर्दानगी पर,क्या अब इस आर्य भूमि पर जवानी माँस के लोथड़ों को नोंचने के लिए आती है ? कब तक! आखिर कब तक ये प्रियंकाएँ हवस का शिकार होती रहेंगी,और तुम अंधी,बहरी,गूंगी सत्ता और कानून से न्याय माँग रहे हो! तुम उन नपुंसकों से … Read more

ले जा तू सलाम मेरा

वन्दना शर्मा’वृन्दा’ अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** ससुराल से बेटी का सन्देश- पुरवइया जाना मेरे बाबुल के देश रे, ले जा रे सलाम मेरा ले जा सन्देश रे- थोड़ी धीमी-धीमी चलना,थोड़ी सहमी-सहमी चलना, घूँघट गोरी का उड़े न,मिट्टी आँख में गिरे न। तुझको अपना सा दिखेगा परिवेश रे… पुरवइया जाना- गाँव की सीमा पर मिलेगी,माता सती निहाली, … Read more

मौन अभी रहना होगा

वन्दना शर्मा’वृन्दा’ अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** मचल रहे तूफान कई, पर मौन अभी रहना होगा। सुनकर सबकी बात नुकीली, मुस्कान अधर गहना होगा। अथक,अडिग,अबाध गति से, प्रवाह हीन बहना होगा। मचने दे नीरव प्रलय को, विकल निशा जगना होगा। अभी नहीं ऋतु अनुकूल, हाथ पर सरसों नहीं उगा करती। सुअवसर आने दे ‘वृन्दा’, काँपेगा अम्बर-धरती। तब … Read more

हिन्दी भाषा

वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. विस्तार करें हम जन-जन तक, हिन्दी भाषा का। हिन्दी पढ़ें-बढ़ें, कदम-कदम पर मिले ज्ञान हिन्दी। भारत की बुलंदियों पर रोशन हो, बच्चों सीखें हिन्दी। भूल रही है, हिन्दी भाषा को नई पीढ़ी अब। जागृति फैलाकर सब, मिलकर घर-घर में विस्तार करें। हिन्दी भाषा का, विस्तार करें … Read more

कृष्ण

वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* जन्माष्टमी विशेष………. कृष्ण एक तुम ही थे, जिसने राधा के दर्द को समझा। राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये, पर सीता की पीर को ना समझ पाये। मीरा की पीर भी किसी ने ना जानी, वह भी तो थी,कृष्ण की दीवानी। लक्ष्मण को भाया भाई का साथ, ऊर्वशी की तड़प उन्होंने कहाँ … Read more

किसान

वन्दना शर्मा अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** प्रथम नमन तुमको हे हलधर। हरित किया तुमने ही भूधर। ब्रह्म सरिस तुम भूख मिटाते। ऊसर रज श्रृंगार सजाते। गाय बैल सब सखा निराले। दूध दही से भरते प्याले। बल और बुद्धि शुद्ध बनाते। बादल के तम्बू तन जाते। स्वेद रक्त से बन जब निकले। धरा हरित सोना तब उगले। … Read more

ऋतुराज

वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* गीत गुनगुनाये सांझ ढलते-ढलते मंद ध्वनि तरंगें। खिला गुल-गुलशन खुशबू बिखरी मंद मौसम हुआ मलन्द। भीगी यादें कुछ मन तरंगों में भूली-सी बातें। बरखा महकी धरा उन्मुक्त घिरा गगन सुखद पुरवाई हरीतिमा। परिचय: वन्दना पुणतांबेकर का स्थाई निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। इनका जन्म स्थान ग्वालियर(म.प्र.)और जन्म तारीख ५ सितम्बर … Read more