एकांत प्रकृति की ओर…
डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************************** एकांत में आते हैं कितने ही विचार, अकेलेपन में अतीत कोलाहल बन जाता है। एकांत में उस काली चिड़िया की, चहचहाहट मधुर लगती है। कबूतर के जोड़े की गुटर गूं, उनके पंखों की फड़फड़ाहट अपने इस घरौंदे में भली लगती है। ऐसे कितने ही पलों से, अपरिचित से थे … Read more