ओ मेघ अब तो बरस जा
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************************** सूखी धरा तरसे हरियाली, जाती आबिया लाएगी संदेशा माटी की गंध का होगा कब अहसास हमें गर्म पत्थरों के दिल कब होंगे ठंडे, घनघोर घटाओं को देख नाचते मोर के पग भी अब थक चुके, मेंढक को हो रहा टर्राने का भ्रम ओ मेघ अब तो बरस जा…। छतरियां,बरसाती भूली … Read more