मृत्यु भोज ऐसा कराना बेटा…

विजयलक्ष्मी जांगिड़ ‘विजया’  जयपुर(राजस्थान) ***************************************************************** हाँ बेटा, मेरी मृत्यु पर तुम भी एक मृत्यु भोज कराना। सड़क पर कचरे से, भूख मिटाती गइया है न, उसे भरपेट हरा चारा खिलाना,…

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शक्ति में भक्ति

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** आज मिली है शक्ति बन्दे कर ले माँ की भक्ति, किसने देखा कल क्या होगा सबने समय से बदली, आज मिली है शक्ति बन्दे कर ले…

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जीवनभर पछताओगे

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** जंग तुमने छेड़ी है जीत नहीं पाओगे, अब भी सुधर जा कायर... वरना जीवनभर पछताओगे। नंगे पांव आए हो गले में फंदा डालेंगे, फूल तो बस…

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`इसरो` की आकांक्षा

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** आकांक्षा है चाँद पर जाने की मिट्टी,हवा,पानी पता लगाने की, चार सौ सपूत लगे हैं इसमें 'चन्द्रयान-२' मिशन पहुँचाने की। धन्य है 'इसरो' का विज्ञान करता…

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शिरोधार्य हिंदी

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. भारत माता के, माथे की बिंदी है हिंदीl सुंदर,सरल, और सहज है, हिंदीl कल-कल बहती, नदी तो कहीं निर्मल जल-सी, मधुर धार…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य अध्याय-१२......... दिन होते ही सेतु बनाती, जीवन में आगे जाने के रात सुखद सपनों में खोती, अंशुमान को अपनाने के। अलग-अलग थे दोनों ही…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य से अध्याय-१० आइ.ए.एस. बनने का सपना, अपने से हो चला हताहत जहाँ प्यार की बजी दुंदुभी, सिमट गई उसकी हर चाहत। फिर भी था…

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माँ

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** माँ नहीं होती संसार नही होता, पर्वत से भी ऊंचा चाँद नहीं होता। सूरज की किरणों में प्रकाश नहीं होता, आसमान से पानी की बरसात नहीं…

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खून खौलता है हर सैनिक का

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. कारगिल-सी जंग, हरदम क्यूँ होती हैl बिलखती हुई माँ, कहाँ चुप होती हैl खून खौलता है हर सैनिक का, जब भारत…

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बचपन की यादें

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** एक साथ खेले हैं हमने पलकों में उन्हें छुपाए, सारी-सारी रात जागकर दिल की बात बताएं। हाँ बचपन ऐसे बीत गया शबनम हमसे रूठ गई, कसमें-वादे…

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