उन्नीस-बीस

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** आओ मिलकर करें विदाई, हँसकर वर्ष उन्नीस की। स्वागत भी हो उसी धुन में, नव वर्ष इस बीस का॥ कर लें हम पूरे अपने कर्म, अधूरे जो हैं उन्नीस के। खुद को हम ऐसे चमकाएँ, यादगार हों हर पल बीस के॥ भूलिए सारे शिकवे-गिले, गलतियों को उन्नीस की। गले मिलकर … Read more

ओ दिन…

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… आज भी ओ(वो)दिन जब याद आता है,तो मन मगन हो जाता है। कड़ाके की ठंड में हम ठिठुर-ठिठुर कर पढ़ने जाते थे। हम सभी को बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता था इस दिन का,क्योंकि इसी दिन से हम आगे की मौज-मस्ती की तैयारी … Read more

पावन देश हमारा

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** पावन देश है हमारा, पावन देश है हमारा। तिरंगा लहर-लहर लहराए, भारत माँ का मन मुस्काए। पवन पंखा डोलाए, मेघ पानी पिलाए। सुंदर नदी का किनारा… पावन देश है हमारा॥ सुगना सगुन बताता, पंछी गाते डाली-डाली। बारह मास रहे नित सावन, होली और दिवाली। जुगनू दीया जलाते, झींगुर झाल बजाते। … Read more

पहले तौलिए,फिर बोलिए

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** मधुर वचन है औषधि,यूँ ही ना मुँह खोलिए, बड़े-छोटे का लिहाज कर,कुछ भी मत बोलिए। मधुरता के अभाव में,बने ना एक भी काम, अपनाये जो मधुर वचन,रूके ना कोई काम। इज्ज़त करें इज्ज़त मिले,बढ़े मान सरेआम, अहंकार से कुछ ना मिले,रुक जाये सारे काम। मधुर वचन से सुख उपजे,भजो हरि … Read more

काली बनकर आओ…

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** `दिशा` काली बनकर आओ ना, पाप बढ़ा है पवित्र धरा पर  आकर तुम ही इसे मिटाओ ना,  `दिशा` काली बनकर आओ ना।    पापियों का संहार करो तुम,  नर के रूप में घूमते भेड़िए  धरती से इन्हें मिटाओ ना,  `दिशा` काली बनकर आओ ना।    दिन-दिन घटना बढ़ती जा रही,  मानव को … Read more

मिट्टी की महक

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** मिट्टी में गुण बहुत हैं, हरदम इसका मान करें हमें भी इसमें मिलना है, खुद पर ना अभिमान करें यह हरदम हँसती रहती है, कहीं ना जाना बहकl यही है मिट्टी की महक…ll मृदा खूशबू फूलों को देती, सबको अपने अंक में लेती मिट्टी की महिमा मिटने में है, हम … Read more

शीत का संदेश

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** वर्षा गई अब मेरी बारी…, जल्दी से कर लो तैयारी ओढ़ो कंबल और रजाई, नहीं तो प्यारे ठंड लग जाई छोड़ो अकड़ चादर लो पकड़, मान लो मेरा यह उपदेश यही है शीत का संदेशl यही है शीत का संदेश… शीत ऋतु भाती है सबको, देते हैं धन्‍यवाद सब रब … Read more

काश! ऐसा होता!

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** कोई ना किसी को दु:ख देता, व्यवहार से मन को हर लेता नर के गम को नर हर लेता, सभी हँसते कोई ना रोता… काश! ऐसा होता, काश! ऐसा होता। घर में सबके खुशियाँ होतीं, हँसती बिटिया ना कभी रोती माँ की ममता ना दम तोड़ती, स्त्री का सदा सम्मान … Read more

यही हम बोलेंगे

लालचन्द्र यादव आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************************** इक बोगी में भर लो कई हजार, यही,हम बोलेंगे। जीवन जबकि,फंसा हुआ मझधार, यही,हम बोलेंगे। पटना जैसे स्टेशन पर, भीड़ लगी है भारी। मुंबई नगरी जाने वाले, जुटे हुए नर-नारी। इधर पसीने से भीगे हम सरकार, यही,हम बोलेंगे। जीवन जबकि,फंसा हुआ मझधार। यही,हम बोलेंगेll सीट ठसा-ठस भरी हुई, अगल-बगल … Read more

जीवन जंग है

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** यह जीवन तो एक जंग है, यहाँ बदलता सबका रंग है सभी कहते,ओ शरीफ़ हैं, व्यवहार से,जमाना दंग है यह जीवन तो एक जंग है, यह जीवन तो एक जंग है। शराफत से जीना भी जंग है, गिरगिट-सा सबका रंग है शरीफ़ों को सब तड़पाते हैं, सच्चाई के नहीं कोई … Read more