दिवाली आई खुशियाँ लाई

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** सबके घर की हुई सफाई, सज गए आँगन और अँगनाई दीपों से बाज़ार है छाया, दिवाली आई,खुशियाँ लाई। हर ओर होती साफ़-सफाई, दीवारों पर होती…

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उनका फोन आया है

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** उनका फोन आया है, वे कह रहे थे आज मुझको करना है कुछ काज, हमें घर पर बुलाया है उनका फोन आया है, उनका फोन…

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परिवार में है ताकत

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** जीवन में है भागा-दौड़ी, मुश्किल से मिलती फूटी-कौड़ी व्यस्तता के इस दौर में, मत भूलिए आचार-विचार करिए ऐसा कर्म सदा कि, खुश रहे जगत-परिवार इस…

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नया बरगद,बूढ़े बाबा

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** "इसे ही 'समय का फेर' कहते हैं। आज मैं बेसहारा हूँ,लाचार हूँ,पर भगवन भक्ति से मुख नहीं मोड़ा है। यही कारण है कि मैं अपने…

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माँ खड़ग धारिणी

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** जय हो मैया शेरा वाली, महिमा तेरी है निराली जो भी दर पर तेरे आता है, मनवांछित फल वह पाता है कोई कहता अष्टभुजी माँ,…

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वाह री सुंदरता

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता, देखे जो तुझको,ओ बेबस हो जाए दिलों-जां सब,तुम पर वह है वारता, वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता। हे…

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हिंदी है हिंद को जोड़ती…

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. हिंदी है हिंद को जोड़ती किसी को नहीं है छोड़ती, चाहे अमीर या हो गरीब यह नाता सबसे जोड़ती। कवियों को…

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हिन्दी को अपनाकर देखो

लालचन्द्र यादव आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************************** हिंदी दिवस स्पर्धा विशेष……………….. माँ की लोरी गा कर देखो, हिंदी को अपना कर देखो। बिना दांत के कोमल शिशु-सा, थोड़ा तो तुतला कर…

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हम तो शिक्षक हैं जी

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** सदा जलाते ज्ञान का दीप पाये उजाला जो आये समीप, हम समाज के रक्षक हैं जी हम तो एक शिक्षक हैं जी। सम भाव सम…

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मिट्टी जिसने,सींच-सींच कर..

लालचन्द्र यादव आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************************** मिट्टी जिसने,सींच-सींच कर, हरियाली फैलायी। अरे! आज क्यों सुबह उसी ने, सूखी रोटी खायी ? ठंडी कारों में चलते, सब लेते हैं अंगड़ाई। इनको…

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