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खुशियों की क्यारी दादी माँ

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’
रोहतक (हरियाणा)
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हाथ में लाठी झुकी कमर,
वट वृक्ष पर ढलती उम्र
जीवन के अनुभव बनकर,
जीना दिखलाती हँस कर
झरती ममता का निर्झर,
सच्चा पाठ जो पढ़ाती है।
जीवन की संचित पूंजी-सी,
अपनी बूढ़ी माँ दादी है॥

जीवन की कड़ी धूप में,
बन जाती शीतल छाया
छोटे-बड़े समान भाव से,
रखती है ममता की माया
कथा है जो रामायण-सी,
और जो सीख है गीता-सी।
हृदय में सबके रहती है,
बनकर जो कविता-सी॥

भजन राम के करती है,
राग मल्हार हो जाता है
थके हुए तपते माथे पर,
शांत भाव टिक पाता है
दादी माँ को देख लगता,
पूरी सदी यहां रहती है।
खुशियों की क्यारी बन,
कोने-कोने महकती है॥

घर में ही रहती है जो,
घर की बनी चारदीवारी
पके आम-सी मीठी है,
प्यार लुटाती सबकी प्यारी
काश आज मेरी दादी होती,
और मैं उनका पोता जी।
कभी सताता-कभी चिढ़ाता,
नटखट कान्हा होता जी॥

परिचय–डॉ.चंद्रदत्त शर्मा का साहित्यिक नाम `चंद्रकवि` हैl जन्मतारीख २२ अप्रैल १९७३ हैl आपकी शिक्षा-एम.फिल. तथा पी.एच.डी.(हिंदी) हैl इनका व्यवसाय यानी कार्य क्षेत्र हिंदी प्राध्यापक का हैl स्थाई पता-गांव ब्राह्मणवास जिला रोहतक (हरियाणा) हैl डॉ.शर्मा की रचनाएं यू-ट्यूब पर भी हैं तो १० पुस्तक प्रकाशन आपके नाम हैl कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित हुई हैंl आप रोहतक सहित अन्य में भी करीब २० साहित्यिक मंचों से जुड़े हुए हैंl इनको २३ प्रमुख पुरस्कार मिले हैं,जिसमें प्रज्ञा सम्मान,श्रीराम कृष्ण कला संगम, साहित्य सोम,सहित्य मित्र,सहित्यश्री,समाज सारथी राष्ट्रीय स्तर सम्मान और लघुकथा अनुसन्धान पुरस्कार आदि हैl आप ९ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हो चुके हैं। हिसार दूरदर्शन पर रचनाओं का प्रसारण हो चुका है तो आपने ६० साहित्यकारों को सम्मानित भी किया है। इसके अलावा १० बार रक्तदान कर चुके हैं।

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