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धैर्य धरना होगा

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’
गोरखपुर(उत्तरप्रदेश)
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अपनी राह तुझे एक-एक कदम चलना होगा,
थक रहे हैं पैर तो क्या धैर्य मन में धरना होगा।

सूरज बनो या चंद्रमा,शनैः-शनैः घटना बढ़ना होगा,
अथक परिश्रम संग धीरज भी तुम्हें धरना होगा।

मन के धवल बादलों से अम्बर में तुझे घिरना होगा,
मरुभूमि की मरीचिका से बाहर स्वयं निकलना होगा।

मन में उठते भवसागर में मांझी तुम्हें बनना होगा,
निराशा के हर भंवर को धैर्य से पार करना होगा।

घटता तिमिर…मिटता क्षितिज…सत्य यहीं सपना होगा,
मन को माया मोह से कर,वंचित मन में सब्र रखना होगा।

चुनना है जीवन में फूल अगर,काँटों पर तुम्हें चलना होगा,
शहद को पाने के लिए मधुकर से वैर करना होगा।

संग नहीं कोई साथी तो क्या,खुद की लाठी बनना होगा,
जीवन की अंतिम बेला तक भी कर्म पथ पर चलना होगा।

समस्त सृष्टि उज्जवल करने के लिए सूरज- सा तुम्हें तपना होगा,
इंद्रधनुष बनकर बिखरने के लिए सूरज का रंग भरना होगा।

सुख का अमृत पाना है तो,मनमंथन तक धैर्य तुम्हें धरना होगा,
रे मानव! अपनी राह तुझे एक कदम चलना होगा॥

परिचय-आरती सिंह का साहित्यिक उपनाम-प्रियदर्शिनी हैl १५ फरवरी १९८१ को मुजफ्फरपुर में जन्मीं हैंl वर्तमान में गोरखपुर(उ.प्र.) में निवास है,तथा स्थाई पता भी यही हैl  आपको हिन्दी भाषा का ज्ञान हैl इनकी पूर्ण शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी) एवं रचनात्मक लेखन में डिप्लोमा हैl कार्यक्षेत्र-गृहिणी का हैl आरती सिंह की लेखन विधा-कहानी एवं निबंध हैl विविध प्रादेशिक-राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कलम को स्थान मिला हैl प्रियदर्शिनी को `आनलाईन कविजयी सम्मेलन` में पुरस्कार प्राप्त हुआ है तो कहानी प्रतियोगिता में कहानी `सुनहरे पल` तथा `अपनी सौतन` के लिए सांत्वना पुरस्कार सहित `फैन आफ द मंथ`,`कथा गौरव` तथा `काव्य रश्मि` का सम्मान भी पाया है। आप ब्लॉग पर भी अपनी भावना प्रदर्शित करती हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-आत्मिक संतुष्टि एवं अपनी रचनाओं के माध्यम से महिलाओं का हौंसला बढ़ाना हैl आपके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैंl  

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