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सच…चिड़िया रानी…

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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दिन भी सूना,
रात भी सूनी
चुप! अकेली चिड़िया रानी।

सजल नयन से,
बाट जोहती
रही सोचती चिड़िया रानी…l

कितने संघर्षों से पाला,
उन्हें खिलाया मुँह का निवाला
शीत-लहर में पंख पसारे,
छाती में मैंने दुबकाया।
खाना-पीना चलना-उड़ना,
धीरे-धीरे उन्हें सिखाया।
फिर वे एक दिन फुर्र उड़ गये,
आने की भी आस दे गये।
तब से प्यारी चिड़िया रानी
सजल नयन से,
बाट जोहती,
सच्ची बात है नहीं कहानीl

एक समय ऐसा भी आया,
सारा घर खुशियों से छाया
बच्चे भी बच्चे ले आये,
चिड़िया फूली ही ना समाये
पर ये क्या…?
लग गई नजर क्या ?
`ये मेरा है,
न ये तेरा है
इसका बड़ा,मेरा छोटा है।`

तिनका-तिनका नीड़ था बिखरा,
तभी किसी का लगा था धक्का
गिरी धरा पर चिड़िया रानी,
आँखों से झर-झर-झर पानी
लहूलुहान हो गई आत्मा,
छलनी-छलनी हुई भावना।
सालों पाले सपने टूटे,
अपने ही अपनों से रूठे।
घर था जिनके लिए बनाया,
खंडहर हुआ,हुई खत्म कहानीl

दिन भी सूना,
रात भी सूनी
खो गई अनंत में चिड़िया रानी,
सच्ची बात है,नहीं कहानीll

परिचय-राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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