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उड़े अबीर-गुलाल

सौदामिनी खरे दामिनी
रायसेन(मध्यप्रदेश)

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रंग-बिरंगी होली आई,उड़े अबीर-गुलाल, जोगीरा सारा रा रा,
पहली पहली होली में,जीजू आए ससुराल।
रुई भर-भर के पूरी पकाई,चाय में डाली मिर्ची लाल, जोगीरा सारा रा रा…ll

जीजाजी ने साली जी से बदले की झटपट मन में ठानी,
जब सोई साली जी,तो चहरे पर मूंछ बनाई मजेदारl जोगीरा सारा रा रा…ll

जीजा-साली की देख के होली भाभी मन मुस्काई,
भांग से बने पकौड़े झट से जीजा साली को ले आई। जोगीरा सारा रा रा…ll

हँसी-मजाक की महफिल में रंग सजे रंगीले,
एक-दूजे को रंग लगाए,खेलें सब मिल फागl जोगीरा सारा रा रा…ll

राजनीति की साजिश में दिल्ली धू-धू जल गई,
बिना किसी मतलब के भाई सारी जनता मर गई।
जोगीरा सारा रा रा…ll

यह देख कर मेरी अंखियाँ आँसूओं से भर गई,
ऐसे हालातों में सब मिल,अब कैसे खेलें फाग ?
जोगीरा सारा रा रा…ll

परिचय-सौदामिनी खरे का साहित्यिक उपनाम-दामिनी हैl जन्म-२५ अगस्त १९६३ में रायसेन में हुआ हैl वर्तमान में जिला रायसेन(मप्र)में निवासरत सौदामिनी खरे ने स्नातक और डी.एड. की शिक्षा हासिल की हैl व्यवसाय-कार्यक्षेत्र में शासकीय शिक्षक(सहायक अध्यापक) हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,दोहा, ग़ज़ल,सवैया और कहानी है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय दामिनी की लेखनी का उद्देश्य-लेखन कार्य में नाम कमाना है।इनके लिए प्रेरणापुन्ज-श्री प्रभुदयाल खरे(गज्जे भैया,कवि और मामाजी)हैंl भाषा ज्ञान-हिन्दी का है,तो रुचि-संगीत में है।

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