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यायावर

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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स्वाभाविक वृत्ति परिवर्तन की,
ना रूकेगा ना कभी रूका
लहलहाता खेत इमारतों में बदला,
आसमां जहरीले धुँए में बदला
सड़क चौड़ीकरण के मुआवजे से,
खण्डहर भी शाॅपिंग माॅल में बदला।

भाषा बदली,पहनावा बदला,
गाँव बदले खानपान भी बदला
संचार माध्यम के साधन बदले,
राहें बदलीं,राहगीर भी बदला
इक चेहरे पे कई चेहरे लगा,
इंसान और ईमान भी बदला।

मूल्य बदले,संस्कार भी बदले,
नमस्कार ‘हाय-हैलो’ में बदला
अपने स्वार्थ की खातिर इंसा ने,
पहाड़ काट नदियों का रूख मोड़ा
सलीका बदला वक्त भी बदला,
परिवारों में अपनापन भी बदला।

जमीं बदली आसमां बदला,
पर ना बदला तो बस इक
यायावर का कारवां न बदला,
सवारी न बदली,सामान न बदला
तदबीरें न बदलीं तकदीर न बदली,
यायावरी का अंदाज न बदला।
युग बदले पर ये न बदले,
इनके लिए संसार न बदला॥

परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

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