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जलरक्षण

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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(रचना शिल्प:३० वर्ण (८८८६) प्रतिचरण,चार चरण समतुकांत चरणांत की कोई शर्त नहीं।)


मनुज भूल नादानी,
आज समय की मानी,
बचत वर्षा का पानी
सोचो कुण्ड बने।

नहीं बहा ये अमृत
बचा नीर से प्राकृत,
धरा हेतु है सुकृत
टांके कुण्ड बने।

ताल-तलैया बापी
गहराई कब मापी,
रेत खेत तप तापी
कुएँ कुण्ड बनें।

घर हो या दफ्तर हो
ऊँचा हो कमतर हो,
जन-मन सभी सुनें
पक्के कुण्ड बनें।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।

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