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हम सब मजदूर

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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हम सब मजदूर हैं,
कोई अपने परिवार के लिए मजदूर हैं
कोई सरकार के लिए मजदूर है,
कोई अपने बच्चों के लिए मजदूर है।
मजदूरी में कोई बुराई नहीं है,
मजदूरी तो श्रम है,
या कोई परिश्रम है।
कोई मंदिर में मजदूर है,
पुजारी भी तो मजदूर होते हैं
सब पेट के लिए मजदूर हैं।
मजदूर केवल खेतों में नहीं होती है,
हर मजदूर भगवान का प्यारा होता है
न कोई चिंता न फ़िक्र,
होली दिवाली सब उसकी एक जैसी होती है।
मजदूरी का आलम ये होता है,
घर पहुंचकर बच्चों का मजदूर होता है।
मजदूर ही सपना देखता है,
उनको पूरा भी वही करता है,
हम सब मजदूर है।
हर कोई मजदूरी कर रहा है,
मजदूर अपनी मर्जी का मालिक होता है,
मजदूर महान होता है॥

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।

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